कार्यशाला में शिशु मृत्यु दर कम करने पर हुआ मंथन, डिलीवरी पर बाल रोग विशेषज्ञ का होना जरूरी

 

मथुरा। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (सीआईएपी) एवं द फेडरेशन ऑफ ऑब्टे ट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (एफओजीएसआई) के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय एक होटल में बाल रोग एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की कार्यशाला हुई। इसमें मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने को लेकर चर्चा हुई। किस प्रकार इसमें कमी लाई जा सकती है इस मंथन किया गया। कार्यशाला में डेमो करके भी दिखाया गया।

कार्यशाला का शुभारंभ अपर महानिदेशक चिकित्सा, शिक्षा एवं प्रशिक्षण डा.एनसी प्रजापति ने किया। प्रजापति ने कहा कि नवजात शिशुओं की जो मृत्यु दर है उसको 2025 तक कम करना है। इसके लिए प्रत्येक डिलीवरी पर बाल रोग विशेषज्ञ का होना जरूरी है। दोनों चिकित्सकों का आपसी समन्वयक आवश्यक है। एक साथ चिकित्सक कार्य करेंगे तो नवजात शिशु मृत्यु दर का कम किया जा सकता है।

 

 

अतिथि नेशनल कंवीनर एवं प्रोग्राम कोर्डिनेटर डा.सुरेन्द्र विष्ट,डा.रूचि राय, डा.स्वर्ण प्रताप,डा.स्वास्तिक बंसल आदि ने अपने-अपने विचार रखे और किस प्रकार इस पर काबू पाया जा सकता है इस पर चिकित्सकों को बताया। वक्ताओं ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान रूटीन चेकअप एवं जांचें जरूरी हैं। जांच से गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। डिलीवरी के तुरंत बाद शिशु का चेकअप भी जरूरी है। समय रहते बीमारी का पता लगने से उपचार लाभकारी रहता है। स्थानीय शाखा के अध्यक्ष डा.बीपी माहेश्वरी एवं सचिव डा.सिद्धार्थ कुमार ने भी इस विषय पर प्रकाश डाला और अतिथियों का स्वागत किया।

 

कार्यशाला में आईएमए के अध्यक्ष डा.संजय गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष डा.अशोक अग्रवाल,स्त्री रोग विशेषज्ञ शाखा की अध्यक्ष डा.आरती गुप्ता,डा.सोनल अग्रवाल, डा. केपी दत्त (पीडियाट्रिक्स), डा.रितु रंजन,डा. पारूल गर्ग के अलावा वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा.पीके गुप्ता,डा.योगेश अग्रवाल,डा.केके अग्रवाल,डा.दीपशिखा, डा.ज्योति अग्रवाल, डा.मुक्ता चौहान,डा.मोहित गुप्ता,डा.विपुल,डा.जॉय,डा.बिंदेश,डा.पीआर गुप्ता,डा.मीना सूद,डा.अनुराधा माहेश्वरी आदि बाल रोग एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ मौजूद रहे।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

विज्ञापन बॉक्स
विज्ञापन बॉक्स

Related Articles

Close
[avatar]