
वृंदावन में आर एस एस मुखिया मोहन भागवत संत प्रेमानंद के दरबार में पहुंचे , दोनों महा पुरुषो में हुई देश हित में की गहन मंत्रणा
वृंदावन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ.मोहन भागवत ने बुधवार को संत श्री प्रेमानंद महाराज से भेंट कर उनसे बौद्धिक और आध्यात्मिक विषय पर गहन चर्चा की आरएसएस संघ प्रमुख मोहन भागवत दो दिन से मथुरा में है। उन्होंने आज आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। मोहन भागवत ने महाराज को माला पहनाकर उनका आशीर्वाद लिया। दर्शन दौरान मोहन भागवत ने उनसे कहा आपकी बातें वीडियो में सुनी है जिससे लगा कि एक बार दर्शन कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा प्रेमानंद महाराज अपने लोगों का जन्म केवल व्यावहारिकी और आध्यात्म सेवा के लिए हुआ है ये दोनों ही सेवाएं अनिवार्य हैं हम भारत के लोगों को परम सुखी करना चाहते हैं और इसे केवल वस्तु और सेवा से नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए उनका बौद्धिक स्तर भी सुधरना चाहिए।
आज हमारे समाज का बौद्धिक स्तर गिरता जा रहा है, जोकि चिंता का विषय है। हम लोगों को सुविधाएं या विविध प्रकार के भोग सामग्रियां दे देंगे लेकिन उनके हृदय की मलीनता है, हिंसात्मक प्रवृत्ति है, अपवित्र बुद्धि है। इसे जब तक ठीक नहीं किया जाएगा चीजें तब तक नहीं बदलेगी।
उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि हमारी जो नई पीढ़ी है, वह राष्ट्र की रक्षा करने वाली है आज जो विद्यार्थी हैं इन्हीं में कोई एमएलए बनेगा कोई एमपी कोई प्रधानमंत्री तो कोई राष्ट्रपति बनेगा लेकिन नई पीढ़ी में व्यभिचार, व्यसन और हिंसात्मक प्रवृत्ति को देख बहुत असंतोष होता है। हमारे जीवन का लक्ष्य यही है कि हम जितना भगवान राम और कृष्ण प्रिय हैं उतना ही देश भी प्रिय है लेकिन अब देश में जो मानसिकता उभर रही है वह देश और धर्म दोनों के लिए सही नहीं है।
संघ मुखिया मोहन भागवत ने उनसे कहा मैंने तीन दिन पहले नोएडा में एक संबोधन के दौरान यही बातें रखी थीं मैं आप लोगों से जो सुनता हूं, वही बोलता हूं और वही करता भी हूं। कोशिश तो हम हमेशा करेंगे लेकिन निराश कभी नहीं होंगे क्योंकि जीना इसी के साथ है और मरना इसी के साथ।
मोहन भागवत के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए महाराज जी बोले- क्या हम श्रीकृष्ण पर भरोसा नहीं करते क्या भगवान के भरोसे में कमी है यदि भरोसा दृढ़ है तो सब परम मंगल होगा सृजन, पालन और संहार भगवान की ये तीन प्रकार की लीलाएं हैं, जिस समय जैसा आदेश होगा भगवान का हम वैसा ही करेंगे।