किशोरी की दुराचार के बाद हत्या करने वाले युवक को मथुरा कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

 

 

मथुरा । अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत ने रेप के बाद नाबालिग की हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के 26 दिन के अंदर सनसनी खेज फैसला सुनाते हुए आरोपी युवक को फांसी की सजा सुनाई है। इसके अलावा आरोपी दोषी पर 45 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बताया जाता है आरोपी ने 13 अक्टूबर 2022 को नाबालिग को घर के बाहर खेलते समय भंडारा में प्रसाद खिलाने के बहाने ले गया और उसके बाद पहले रेप किया और फिर पहचान छिपाने की डर से उसकी हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि 13 अक्टूबर की देर शाम शहर कोतवाली इलाके के सौंख रोड की रहने वाली 10 वर्ष की मासूम का शव मथुरा वृंदावन रोड पर स्थित पीएमवी कॉलेज के जंगलों में मिला था। पुलिस ने मामले में पहले अज्ञात के खिलाफ रेप और हत्या का मामला दर्ज किया था।

पुलिस ने जब मामले की जांच की तो वारदात को अंजाम देने के मामले में पीड़िता के पड़ोसी विजय नगर कृष्णा नगर निवासी 40 वर्षीय सतीश पुत्र बुद्वराम का नाम सामने आया था। सिलाई बुनाई का काम करने वाला सतीश पीड़िता को जंगल में ले गया। जहां उसके साथ दुराचार किया और फिर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने वारदात के अगले दिन 14 अक्टूबर को आरोपी सतीश को गिरफ्तार कर लिया था। घटना के एक महीने बाद 14 नवंबर को पुलिस ने युवक के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया।

इसकी सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत में हुई। कोर्ट ने मुकदमे में गवाही और सुबूतों के आधार पर अभियुक्त को दोषी माना। दोष सिद्ध होने के बाद शुक्रवार को अभियुक्त सतीश को मृत्युदंड की सजा दी गई है। इसके अलावा अभियुक्त को धारा-363 भारतीय दंड संहिता के तहत पांच वर्ष के कठोर कारावास और पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। अर्थदंड अदा ना करने पर अभियुक्त को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। अभियुक्त सतीश को धारा 1-376 एबी भारतीय दंड संहिता के तहत आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई। वहीं 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया। यह अर्थदंड अदा न करने पर अभियुक्त छह माह का अतिरिक्त कारावास भोगेगा। इस केस की सरकार की ओर से पैरवी कर रहीं स्पेशल डीजीसी पॉक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु ने बताया कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में है। इस निर्णय की प्रति उच्च न्यायालय इलाहाबाद को मृत्युदंड की पुष्टि के लिए भेजी जाएगी। अभियुक्त के वकील योगेश तिवारी ने कहा कि अभियुक्त ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए यह सजा हुई है। उन्होंने कहा कि मामले में 20 गवाह बनाए गए थे। कोर्ट ने मुख्य 10 गवाहों को सुना जिसमें पुलिस कर्मी,मेडिकल और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के अलावा पीड़िता के परिजन थे।

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