असत्य पर सत्य की हुयी विजय

 

 

राजा रामचन्द्र के जय घोशों से गूंजी कृष्ण नगरी

 

मथुरा। श्री रामलीला सभा मथुरा के तत्वावधान में रामलीला मैदान महाविद्या पर रावण व अहिरावण वध की लीला हुयी। पाताल लोक से अपने प्रतापी पुत्र अहिरावण को बुलाने के लिए रावण भगवान शंकरजी की उपासना करता है। रावण के ध्यानमग्न होने से पातल में अहिरावण का मन विचलित होता है। वह लंका में रावण के पास पहुंच कर कारण जानना चाहता है। रावण युद्ध का पूरा समाचार सुनाने के बाद शत्रुओं का नाश का उपाय करने को कहता है।

अपने चाचा विभीषण का वेष बनाकर रामादल में मोहिनी मंत्र से सभी को निद्रित करके राम व लक्ष्मण को पाताल में कामदा देवी की बलि चढ़ाने के लिये ले जाता है। हनुमानजी प्रभु की खोज में जाते समय मार्ग में गर्भवती गिद्धनी व गिद्ध के संवाद से स्पष्ट हो जाता है कि अहिरावण प्रभु राम व लक्ष्मण को ले गया है। हनुमान जी पाताल लोक में अपने पुत्र मकरध्वज से मिलते हैं जो अहिरावण की सेवा में लगा है। वह दोनों भाईयों का पता बताता है। हनुमानजी द्वारा अहिरावण का वध कर मकरध्वज को पाताल का राजा बना कर राम व लक्ष्मण को रामादल में ले आते हैं।

अहिरावण की मृत्यु के बाद रावण स्वयं युद्ध करने जाता है। भयंकर युद्ध होता है। युद्ध में ब्रह्मास्त्र चलाकर लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है। यह देख हनुमानजी रावण पर मुष्टिक प्रहार करते हैं, रावण मूर्छित होकर गिरता है, फिर मूर्छा टूटने पर उठता है। लक्ष्मण की मूर्छा टूटने पर वे रावण को परास्त कर लंका लौटा देते हैं। रावण विजय-यज्ञ करता है। वानर भालू उसके यज्ञ का विध्वंश कर देते हैं। तत्पश्चात् राम व रावण के युद्ध में रावण की मायावी शक्तियों का प्रयोग राम द्वारा नष्ट कर रावण के नाभि में बने अमृत कुण्ड पर अग्नि वाण चलाने पर रावण राम-राम कहते हुए पृथ्वी पर गिर पड़ता है। राम राजनीति के ज्ञाता व महान पंडित रावण से राजनीति की शिक्षा के लिए लक्ष्मण को भेजते हैं। रावण शिक्षा प्रदान करता है व श्रीराम से कहता है कि विजय मेरी ही हुई है क्योंकि मैं आपके बैकुण्ठ लोक में जा रहा हूँ लेकिन आप मेरे जीवित रहते हुये लंका में प्रवेश नहीं कर पाये। श्रीराम मुस्कुरा जाते हैं। सीता जी की अग्नि परीक्षा के बाद प्रभु उन्हें वामांग लेते हैं।

मैदान में प्रभु के अग्नि बांण चलाते ही रावण के पुतले की नाभि से अमृत वर्षा, मुस्कुराहट व घोर गर्जना के साथ धू-धू कर जल उठा, जिसे देखकर सम्पूर्ण मैदान में उपस्थित जन समुदाय राजा रामचन्द्र की जय जय घोषों से गूंज उठा। भव्य आतिशबाजी हुई। इस अवसर पर दशहरा मेला मंत्री, अजयकान्त गर्ग एवं बाड़ा मंत्री गौरव टैण्ट ने केविनेट मंत्री उत्तर प्रदेश चौ. लक्ष्मी नारायण एवं रविकान्त गर्ग पूर्व ऊर्जामंत्री, जिलाधिकारी, एस.एस.पी को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर हिन्दूवादी नेता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी, जयन्ती प्रसाद अग्रवाल, जुगलकिशोर अग्रवाल, नन्दकिशोर अग्रवाल, मूलचन्द गर्ग, विजय किरोड़ी, प्रदीप कुमार सर्राफ, शैलेष अग्रवाल सर्राफ, पं. शशांक पाठक, विनोद सर्राफ, नागेन्द्र मोहन मित्तल, उमेश प्रेस वाले, प्रदीप गोस्वामी, पं. अमित भारद्वाज, सर्वेश शर्मा, राजनारायण गौड़, मदनमोहन श्रीवास्तव, महावीर मित्तल, अजय मास्टर, कन्हैयालाल बजाज, संजय बिजली, अनूप टैण्ट, संजय किरोड़ी, सुरेन्द्र कुमार खौना, योगेश आवा, रामदास चतुर्वेदी आदि प्रमुख थे। व्यवस्था में जुलूस मंत्री विनोद सर्राफ, अजय अग्रवाल सर्राफ, हिमांशु सूतिया, कन्हैया टाइप, विष्णु शर्मा, आनन्द शर्मा, रमेश किस्सू आदि तथा साज-सज्जा श्रृंगार में बांकेबिहारी तेल वाले, उमेश बिजली, गोविन्द सजावट, गौरव अग्रवाल ने विशेष सहयोग दिया। प्रसाद सेवा विजय कुमार, अजयकुमार, दीपक कुमार सर्राफ ने की। 06 अक्टूबर 2022 को सायं 6 बजे चौक बाजार में भरत-मिलाप की लीला होगी।

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