
वृंदावन में नगर निगम के अभिलेख और पुस्तकों की प्रदर्शनी में श्रीकृष्ण जन्मभूमि – ईदगाह विवाद के दिखाए साक्ष्य
मथुरा। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था या नहीं। इसका पता लगाने के लिए शनिवार को वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को दूसरे दिन भी सर्वे जारी रहा। इसी बीच श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाए जाने की मांग को लेकर न्यायालय में वाद करने वाले वादी और श्रीकृष्ण जन्म भूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने वृंदावन के चिंतामणि कुंज में प्रदर्शनी लगाई। इसमें शाही मस्जिद ईदगाह में हिंदू मंदिर के चिह्न होने संबंधी साक्ष्य देने वाली पुस्तक रखी गई। इसके साथ ही नगर निगम के भूमि संबंधी अभिलेख भी आम जनता की जानकारी के लिए प्रदर्शितकिए गए।श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाए जाने की मांग को लेकर न्यायालय में बाद करने वाले वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने वर्ष 1017 में लिखी गई पुस्तक तारीक-ए- यामिनी से लेकर नगर निगम में दर्ज भूमि संबंधी अभिलेखों की प्रदर्शनी लगाकर अपने पक्ष को मजबूत करने का कार्य किया प्रदर्शनी में रखे साक्ष्यों में शाही मस्जिद ईदगाह की इमारत में सनातन धर्म के प्रतीक चिन्ह और आकृतियाँ भी शामिल हैं। इसके माध्यम से श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ने इस प्रदर्शनी के माध्यम से आम जनता को यह भी जानकारी देने की कोशिश की,
वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर में • मिलने वाले सनातन धर्म के धार्मिक स्थल के साक्ष्यों की भांति शाही मस्जिद ईदगाह परिसर में भी इस तरह के साक्ष्य मौजूद है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, कमल और ऊं की आकृति वाले प्रतीक चिन्ह है, जो इस बात का साक्ष्य है कि पहले यहां सनातन धर्म के धार्मिक स्थल होने को प्रदर्शित करते है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदर्शनी में दो दर्जन के करीब प्राचीन पुस्तक प्रदर्शनी में शामिल की गई। नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज खसरा-खतौनी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि की रजिस्ट्रो, मुगल शासक औरंगजेब का फरमान भी शामिल है। इन दस्तावेजों में ठाकुर केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कर शाही मस्जिद ईदगाह के निर्माण कराए जाने का उल्लेख है।