मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए: स्वामी इंददेव

 

मथुरा।वृंदावन में श्रीराधाकिशोरी धाम आश्रम में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के समापन पर अपने जन्मोत्सव पर महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती ने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं के प्रसंग सुनाये। आश्रम में उनके भक्तों ने जन्मोत्सव कार्यक्रम हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया। तमाम भक्तों ने गुरू दीक्षा ली।परिक्रमा मार्ग स्थित आश्रम में व्यास पीठ से सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए स्वामी इंद्रदेव ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाएए यह भगवान श्रीकृष्ण सुदामाजी से समझ सकते हैं। श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका आये सुदामा को द्वारपालों ने रोक दिया था।तब कृष्ण अपने मित्र के आने की सूचना पर दौड़े चले आये थे और अपने मित्र को देख सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैयाण्कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। कथा के समापन पर सायंकाल विद्वत संगोष्ठी हुई। जिसमें संतों और महंतों ने महामंडलेश्वर इंद्रदेव के जन्मोत्सव पर बधाई दी। चतु संप्रदाय के संत महंतफूलडोल बिहारीदास ने कहा कि उनके द्वारा की जा रही सेवा सराहनीय है। गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों की निशुल्क सेवा की जा रही है।महामंडलेश्वर सत्यानंद सरस्वती ने कहा कि गरीब एवं असहाय लोगों के लिए निरंतर निशुल्क अन्न सेवा किया जाना वंदनीय है।संगोष्ठी में महामंडलेश्वर राधाप्रसाद देव, महामंडलेश्वर आदित्यानंद महंत नवलगिरि, महंत मोहिनीबिहारी शरण, आचार्य बद्रीश, आचार्य बलराम, बिहारीलाल विशिष्ठ, रामविलास चतुर्वेदी, सुनीता चौधरी, सरोज चौधरी, कुसुम पाठक, लक्ष्मी नायक, कृष्ण कुमार शर्मा, ओम प्रकाश शर्मा, गगन कुमार, दीपक महाराज, हर्षित आदि उपस्थित थे।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

विज्ञापन बॉक्स
विज्ञापन बॉक्स

Related Articles

Close
[avatar]