चुनौतियों के बीच दिखाई दे रहा उज्जवल भविष्य, इसमें सबसे बड़ा योगदान टीचरों का है
कोविड-19 की चुनौती के बीच हमारे बच्चों और टीचरों ने खुद को जरूरतों और हालातों के हिसाब से बदल लिया है। बड़े बड़े क्लासरूम छोटे से मोबाइल में सिमट गए और स्टूडेंट्स की डिजिटल हाजिरी से पढ़ाई के नए रास्ते निकल आए। मानव संसांधन विकास मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में डिजिटल लर्निंग की अहमियत और भविष्य को देखते हुए तमाम ऐसे फैसले किए हैं, जो आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेंगे लेकिन इन सब में सबसे बड़ा योगदान उन अध्यापकों का है, जिन्होंने डिजिटल सामग्री और नए पाठ्यक्रम तैयार करने के साथ ही ई लर्निंग को रोचक बनाया है ताकि स्टूडेंट्स को इसका पूरा लाभ मिल सके।
मैल्कम फोब्र्स ने कहा था, ‘शिक्षा का मकसद एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में परिवर्तित करना है।’ दरअसल, एक खुला दिमाग ही बदलावों को पूर्ण विश्वास के साथ गले लगा पाता है। यही वजह है कि 12वीं पास करने वाले विद्यार्थियों के लिए शुरू किए गए ऑनलाइन पाठ्यक्रम सभी को खूब रास आ रहे हैं। इनमें आइआइटी मद्रास का प्रोग्रामिंग और डेटा साइंस में विश्व का पहला ऑनलाइन बीएससी डिग्री पाठ्यक्रम सबसे खास है। इसमें दसवीं कक्षा के स्तर पर अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाला और किसी भी संस्थान में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में दाखिला ले चुका विद्यार्थी यह डिग्री हासिल कर सकता है। खास बात यह है कि इस पाठ्यक्रम को एनआइआरएफ की भारत रैंकिंग 2020 में पहला स्थान हासिल करने वाले संस्थान आइआइटी मद्रास ने शुरू किया है।