सिंधी समाज द्वारा लगातार 40 दिन तक होंगे धार्मिक अनुष्ठान

 

 

अनुष्ठानः वरूणावतार भगवान झूले लाल का चालिहा महोत्सव शुरू

 

मथुरा। लगातार 40 दिन तक चलने वाले वरूणावतार भगवान झूलेलाल का चालिहा महोत्सव मंगलवार को शुरू हो गया है। अब सिंधी समाज द्वारा लगातार 40 दिन पूजा, आरती, व्रत संग धार्मिक अनुष्ठान होते रहेंगे।

मीडिया प्रभारी किशोर इसरानी ने बताया कि गोवर्धन रोड स्थित कृष्णा आर्चिड में सिंधी महाराज स्वामी पंडित मोहनलाल शर्मा के निवास स्थान पर भगवान झूलेलाल का मंदिर सजाया गया है, जहां प्रतिदिन चालिहा पर्व की धूम रहेगी। लगातार चालिस दिन सिंधी समाज का हर परिवार वरूणावतार झूलेलाल की भक्ति में मगन दिखेगा। मंगलवार सुबह चालिहा महोत्सव के शुभारंभ मौके पर कलश स्थापना संग ही ज्योत प्रज्वलित करके आरती पूजन वंदन के उपरांत भगवान झूलेलाल के जयकारों और तरानों में हर कोई डूबा दिखा। लगातार चालिस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने वाले भक्तों ने व्रत करने का संकल्प लिया वहीं सिंधीजनों ने दर्शन कर पुण्य कमाया। महाराज स्वामी पंडित मोहनलाल शर्मा ने बताया कि अखंडभारत के सिंध प्रांत के शासक मिर्खशाह ने सिंध में रहने वाले हिन्दु सिंधीजनों पर धर्मपरिवर्तन को लेकर लागतार अत्याचार की हदें पार कर दी थी, उत्पीड़न से परेशान बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय सिंधु नदी के किनारे कई दिनों तक प्रार्थना करने लगे, तब खुश होकर जलदेवता ने वरूणावतार भगवान झूलेलाल के रूप में दर्शन देकर ने केवल अवतार लेने की बात कही, बल्कि उन्होने उस क्रूर शासक को सबक सिखाकर सिंधी समुदाय को उनके जल्म से मुक्ति भी दिलवाई। तब से हर साल प्राचीन सिंधु सभ्यता से जुड़ा चालिहा पर्व सावन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी से शुरू होता है और श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। ज्योत प्रज्वलित करते हुए लाड़ी लोहाणा सिंधी पंचायत के राष्ट्रीय सचिव रामचंद्र खत्री ने बताया कि सिंधी समाज के लिए इन चालीस दिनों का काफी महत्व है। समाज के इस बड़े पर्व पर लगातार चालीस दिन झूलेलाल साई की प्रतीक के रूप में अखंड ज्योति की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वरूणावतार भगवान झूलेलाल जी को सूर्य की ज्योति स्वरूप अवतार माना जाता है। इस मौके पर बसंतलाल मंगलानी, जितेंद्र लालवानी, अशोक अंदानी, रमेश नाथानी, सुंदरलाल खत्री, सुरेश मनसुखानी, अशोक डाबरा, किशनचंद भाटिया सहित तमाम सिंधीजनों ने भगवान झूलेलाल जी की पूजा अर्चना तथा आरती वंदन कर अपने इष्टदेव से मानवकल्याण की प्रार्थना की।

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