
बारिश के सुहावने मौसम में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गिर्राज जी की सप्तकोसीय परिक्रमा
मथुरा । विश्व विख्यात मुड़िया पूर्णिमा मेला शुरू होती ही देर रात से परिक्रमार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गुरूवार को उमस भरी गर्मी ने गिर्राज की भक्तों शीतलता प्रदान की और बारिश के सुहावने मौसम ने गिर्राज महाराज के जयकारे के साथ भक्तों की परिक्रमा चल रही थी। आस्था के समुद्र में लाखों भक्त 22 जुलाई मुड़िया पूर्णिमा की अगले दिन तक गिरिराज जी महाराज
की शरण में डुबकी लगाएंगे। इन पांच दिनों में नाचते-गाते हुए सात कोसीय परिक्रमा भक्तों द्वारा लगाई जाएगी। भक्तों की इस अटूट श्रद्धा को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से विशेष तैयारी की गई है।
डीएम और एसएसपी देर रात तक कैंप कर व्यवस्था को बनाते देखे गये। मुड़िया मेले के दौरान गुरुवार को दोपहर गोवर्धन में हल्की बारिश होने से गर्मी से श्रद्धालुओं को थोड़ी राहत मिली है। मुड़िया मेले में
श्रद्धालुओं का आना शुरू हो चुका है। भारी उमस के कारण चुका है। भी परेशान है। इसके बावजूद परिक्रमा लगाई जा रही है। गुरुवार करीब 12.30 बजे बारिश जिसमें मौसम अच्छा हो गया है। सुहावने मौसम में परिक्रमार्थियों ने नांच नांच कर परिक्रमा लगायी। वैसे तो गिरिराजजी की तलहटी में राधे-राधे की गूंज हर वक्त सुनाई देती है। लेकिन पांच दिवसीय मुड़िया पूर्णिमा मेले में कदम-कदम राधे राधे सुनाई
देगा। 21 किमी की परिक्रमा में संगीत के साथ संकीर्तन की मिठास में श्रद्धालु एक-दूसरे के सुर में सुर मिलाते नजर आएंगे। यहां का कण-कण राधाकृष्ण की बाल लीलाओं की गवाही देता है। यही कारण है कि गोवर्धन स्थित गिरिराज की तलहटी में कभी रात नहीं होती है। यहां रात-दिन भक्ति की अविरल धारा बहती रहती है। पांच दिवसीय मुड़िया पूर्णिमा मेला के लिए सेवायत अपने प्रभु की सेवा में जुटे हैं। मेला
के दौरान प्रभु को होने वाली थकान से बचाव को सेवायत ने गिरिराजजी प्रभु को गजब का लाड़ लड़ाया। प्रभु का रबड़ी गंगाजल से अभिषेक तो इत्र से जमकर मालिश की। सेवायत सौरव शर्मा ने गिरिराजजी का रबड़ी और मानसी गंगा से जल से प्रभु का अभिषेक किया। सुगंधित इत्र लगाकर मालिश की गई। प्रभु के चरण और श्रीअंगों को धीमे धीमे दबा कर थकान मिटाकर प्रभु को मेला के लिए संवारा
गया। सौरव शर्मा ने बताया कि प्रभु मुड़िया मेला के दौरान भक्तों का दरबार लगाकर मनोकामना पूरी करेंगे। मुड़िया मेला से पूर्व प्रभु की थकान मिटाने के लिए ही यह आयोजन किया गया है। गिरिराज प्रभु को केसर युक्त अधौटा दूध और मालपुआ समर्पित किए गए हैं। प्रभु को सुलाने के लिये शयन के पद सुनाए। इसके उपरांत पांच ज्योतियों से नजर उतारकर प्रभु को शयन कराया।