
आईसीआरटी ने किया जैंत का भ्रमण
मथुरा। जैत में ग्रामीण पर्यटन कार्यक्रम के तहत इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेस्पोंसेबिल टूरिज्म (आईसीआरटी) के दल ने जैत का भ्रमण करके पर्यटन उद्योग की संभावनाओं को तलाशा और गांव के पर्यटन विकास के लिए गांववासियों से चर्चा की। आईसीआरटी के दल का जय कुंड के प्रवेश द्वार पर भव्य स्वागत किया गया। तत्पश्चात कालिया नाग मर्दन मंदिर में पूजा अर्चना करके मंदिर और गांव के इतिहास पर चर्चा की। नाग मंदिर में पूजा अर्चना और ऐतिहासिक जानकारी हासिल करने के बाद टीम ने मिट्टी कला के हस्त शिल्पियों द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाने, तुलसी की कंठी माला बनाने, ठाकुर जी की पोशाक बनाने, छाछ, मक्खन और देसी
चूल्हे पर पानी के हाथ की रोटी बनाने की गतिविधियों के साथ साथ होम स्टे और तुलसी की खेती पर विस्तृत रूप से चर्चा की। टीम में डा. हेराल्ड गुडविन अध्यक्ष आईआरसीटी लंदन, मनीषा पांडेय कंसलटेंट ग्रामीण पर्यटन परियोजना, आरुष सोशल मीडिया पर्यटन निदेशालय लखनऊ, प्रशांत छिरोल्या कंसलटेंट ग्रामीण पर्यटन परियोजना पर्यटन निदेशालय लखनऊ, सुरेंद्र सिंह, कंसलटेंट ग्रामीण पर्यटन परियोजना पर्यटन निदेशालय लखनऊ, ऐतराम अली क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी मथुरा, ललित मोहन जोशी परियोजना प्रबंधक आदर्श सेवा समिति आगरा, प्रकाश कुशवाहा जिला समंवयक मथुरा आदि शामिल थे। ग्राम प्रधान ममता देवी, प्रधान
प्रतिनिधि संजय प्रधान, लवी बंसल सचिव ग्राम पंचायत जैत ने टीम के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया तो वहीं कालिया मर्दन नाग मंदिर के सेवायत पंडित रितेश गौतम ने पूजा अर्चना कराई। बहुप्रतीक्षित मांग को ग्रामीणों ने
पुनः दोहराया आईआरसीटी, लंदन के प्रतिनिधि मंडल के भ्रमण के दौरान ग्रामीणों ने बहुप्रतीक्षित मांग को दुहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 पर एक किलोमीटर लंबा ऐलिवेटेड ब्रिज या फिर जय कुंड भरतिया चौक पर फ्लाईओवर ब्रिज और गंदे पानी की निकासी के लिए जयकुंड के सामांतर एप्रोच रोड़ के साथ नाला निर्माण होने पर ही गांव में पर्यटन उद्योग को समुचित रूप से विकसित करना
संभव है। ग्रामीणों ने बताया कि जैत तुलसी की खेती और कंठी माला का उद्म स्थल होने के साथ-साथ बृज का प्रमुख तीर्थ स्थल है जो भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की याद ताजा कराता है। यहां पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं हैं।
कालिया मर्दन सिद्धपीठ है जयकुंड
सोमवार को मंदिर परिसर में राजस्थान के भक्तों को पूजा- अर्चना करा रहे करौली के पंडित दिनेश शास्त्री ने बताया कि बृज के इस प्रमुख तीर्थ स्थल जय कुण्ड को कालिया मर्दन सिद्धपीठ कहने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस परिक्षेत्र में पूर्ण विधि- विधान के साथ किए गए अनुष्ठान पूर्ण फलदाई होते हैं।