
गौ रक्षा आन्दोलन में शहीद हुए,गौ भक्तो को श्रद्धांजलि
मथुरा। (संवाददाता श्याम शर्मा दैनिक अयोध्या टाइम्स) गौ माता भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है, भारतीय संस्कृति की पहचान है,गौ रक्षा के लिए अनगिनत गौ भक्तो ने अपने प्राण न्यौछावर किए हैं,७ नंबर १९६६ को परम् पूज्य, धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज एवं प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी महाराज के नेतृत्व में,गौ हत्या निषेध हेतु कानून बनाने की मांग को लेकर हजारों साधु संत , धर्माचार्यों एवं लाखों गौ भक्तो उपस्थिति में संसद भवन के सामने चल रही शांतिपूर्ण सभा में अटल बिहारी वाजपेई जी के भाषण के दौरान बिना किसी चेतावनी के इंदिरा गांधी के आदेश पर बैठे हुए गौ भक्तो एवं साधु संतो पर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर हमला किया गया, जिसमें हजारों गौ भक्तो शहीद हुए, जिनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए श्रृद्धांजलि कार्यक्रम मथुरा पुरी के प्राचीन श्री दीर्ध विष्णु मंदिर में आयोजित किया गया जिसमें श्री दीर्घ विष्णु मंदिर के सेवायत महंत कान्तानाथ चतुर्वेदी , संस्कृत भारती के महानगर अध्यक्ष आचार्य ब्रजेंद्र नागर, आचार्य कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई, श्री दीर्घ विष्णु मंदिर के सेवायत महंत कान्तानाथ चतुर्वेदी ने कहा कि गौ माता साक्षात धर्म स्वरूप है,गौ और ब्राह्मण एक ही वंश के है इसके सम्पूर्ण शरीर में तैंतीस कोटि देवताओं का वास है,इसी लिए गाय को विश्व की माता कहा गया है,गौ वंश के संरक्षण से ही धर्म का संरक्षण होगा,आज स्वतंत्रता के ७५ वर्ष बाद भी स्वतंत्र भारत में गौ हत्या प्रतिबंधित नहीं किया जाना चिंतनीय विषय है,हम गौ वध पूर्णतया प्रतिबंधित करने की मांग करते हैं।
आचार्य ब्रजेंद्र नागर ने कहा कि निहत्थे गौ भक्तो पर बर्बरता पूर्वक तत्कालीन सरकार द्वारा किया लाठीचार्ज, गोलीबारी भारतीय इतिहास में काले दिवस में स्मरणीय है, संतों पर किया गया अत्याचार मुगल शासकों के धर्म संस्कृति पर किए गए अत्याचार के समान है।
आचार्य कामेश्वर नाथ ने कहा कि गौ माता भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
सिख संगत के महानगर संयोजक राजेन्द्र सिंह होरा ने कहा कि आज के युग में ग्गांव, गांव,शहर शहर गौ पालन को बढ़ावा मिलना चाहिए।
श्री दीर्घ विष्णु मंदिर सेवा संस्थान के प्रवक्ता रामदास चतुर्वेदी ने कहा कि आज गौ पालन सबसे कठिन कार्य हो गया है,आज गौ संरक्षण के लिए गौचर भूमि का संरक्षण होना चाहिए,गौ पालन को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए गौ वंश का संरक्षण आवश्यक है वर्तमान सरकारों को गम्भीरता से इस विषय पर निर्णय लेना चाहिए।
संस्कृत भारती के गंगाधर, अरोड़ा ,सेवायत बालकृष्ण चतुर्वेदी, लालकृष्ण चतुर्वेदी, हर स्वरुप यादव,दीपक चतुर्वेदी भोला,मोहन गोला, आदि ने गौ माता के चरणों में पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की ।