मथुरा में लाठियों से पीटा गया हाथी का पुतला:कंस वध से पहले भगवान कृष्ण और बलराम ने किया था कुबलिया पीड़ हाथी का वध

 

 

 

 

 

मथुरा: कुबलियापीड़ हाथी वध महोत्सव समिति द्वारा कुबलियापीड़ हाथी वध मेला व कृष्ण-बलदेव शोभायात्रा का आयोजन किया। भगवान श्रीकृष्ण-बलदेव की कुबलियापीड़ हाथी और कलात्मक झांकियों संग शोभायात्रा आरती के साथ स्वामीघाट से शुरू हुई। बैंडबाजों की धुन पर भगवान श्रीकृष्ण-बलदेव के भजन वातावरण में भक्ति की मिठास घोल रहे थे। शोभायात्रा चौक बाजार, मंडी रामदास, डीगगेट होती हुई पोतराकुंड, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के निकट पहुंची। प्राचीन हाथी वध स्थल पर हाथी वध लीला का मंचन किया गया। हाथीवध लीला होते ही वातावरण भगवान श्रीकृष्ण-बलदेव की जयघोष से गूंज उठा। शोभायात्रा का पग-पग पर स्वागत होता रहा। कागज का हाथी, गणेशजी, काली की सवारी, चीरहरण, महारास, कंसवध, कृष्ण-बलराम स्वरूप आदि की झांकियां शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रहीं थीं।हाथीवध लीला के बाद शोभायात्रा प्राचीन केशवदेव मंदिर होती हुई मंदिर पर समाप्त हुई। वहीं समिति के प्रवक्ता श्याम शर्मा ने बताया द्वापर युग में कंस का सबसे प्रिय हाथी था क़ुबलिया पीड़। क़ुबलियापीड़ हाथी में दस हजार हाथियों की ताकत थी। वहीं उन्होंने कहा क़ुबलिया हाथी जरासंध ने कंस को भेंट स्वरूप दिया था।

 

 

इस अवसर पर समिति के मार्गदर्शक राजनारायण गौड़, राजीव शर्मा, अध्यक्ष रमाकांत गोस्वामी, महामंत्री अभिषेक शर्मा आशु, मेला संयोजक अजय कुमार सैनी उपाध्यक्ष पंकज शर्मा कमल किशोर गौड़ आशीष शर्मा राजेश पाठक सर्वेश चतुर्वेदी संजय पाराशर घनश्याम हरियाणा मनु ऋषि त्रिवेदी विजय शर्मा विवेक शर्मा जमुना शर्मा सरोज शर्मा विजय शर्मा नितिन चतुर्वेदी अनूप गौतम आदि मौजूद रहे।

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