
बकरी क्षेत्र के विकास के लिए हुई संगोष्ठी
मथुरा। (संवाददाता श्याम शर्मा )फरह में अमृत काल में भारतीय बकरी क्षेत्र के लिए नीतियाँ और रणनीतियाँ’ विषय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन बकरी अनुसंधान संस्थान में हुआ।
संगोष्ठी में देशभर के नीति निमार्ता, विशेषज्ञ, शोधकर्ता, और बकरी पालन से जुड़े किसान एवं उद्योग के 150 प्रतिनिधि शामिल हुए। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य बकरी क्षेत्र में अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के आधार पर नीतियाँ तैयार करना था, ताकि ‘अमृत काल’ में इस क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। मुख्य
अतिथि अल्का उपाध्याय, सचिव (डीएएचडी) और विशिष्ट अतिथि डॉ. अभिजीत मित्र, एनिमल हसबेंड्री कमिश्नर, और डॉ. आर. भट्टा, डीडीजी (एनिमल साइंस) जैसे व्यक्तियों की उपस्थिति में यह संगोष्ठी बकरी पालन को लाभकारी व्यवसाय में बदलने की रणनीतियों पर केंद्रित रही। विशेषज्ञों ने बकरी स्वास्थ्य में सुधार, टीकाकरण कवरेज बढ़ाने और उत्पादन में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस संगोष्ठी में भाग लिया
और भारतीय बकरी क्षेत्र की दिशा और विकास के लिए आवश्यक कदमों पर अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी में बकरी पालन को अन्य कृषि गतिविधियों के साथ जोड़कर इसके लिए समग्र विकास योजनाएँ तैयार करने पर चर्चा की गई।
इस आयोजन में यह भी उल्लेख किया गया कि बकरी पालन, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन सकता है। पशुपालन के साथ- साथ बकरी उत्पादों की प्रौद्योगिकी और विपणन में सुधार करने से देशभर में आर्थिक सुधार संभव है।