कोई भी किसान पराली न जलाये, बल्कि पराली को गौशालाओं में पहुॅचायें

 

खेत में पराली जलाने पर होगी कड़ी कार्यवाही -जिलाधिकारी

 

मथुरा। जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल तहसील छाता के ग्राम पंचायत रनवारी में पराली के संबंध में आवश्यक बैठक एवं निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि खेत में पराली जलाने पर कड़ी कार्यवाही करने के लिए जिलाधिकारी टीम गठित कर रखी है, जो घटनायें सामने आ रही हैं, उन पर तत्पर कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने जनता से कहा कि पराली जलाना सरकार ने दण्डनीय अपराध माना है। उन्होने यह भी बताया है कि पराली/फसल अवशेष नही जलाने से मृदा में कार्बनिक पदार्थो की वृद्धि होती है, लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या बढती है, मृदा में जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है, दलहनी फसलों के अवशेष से मृदा में नत्रजन एवं अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढती है।

श्री चहल ने कहा है कि कम्बाईन हार्वेस्टिंग मशीन फसलों की कटाई लगभग एक फिट छोड़कर किया जाता है, जिससे किसान अगली फसल की बुआई हेतु जलाते है, जबकि कृषि अनुभाग-2 उ0प्र0 शासन के निर्देशानुसार जनपद में कम्बाइन हार्वेस्टिंग स्ट्रा रीपर विद बाइन्डर अथवा स्ट्रा रीपर, मल्चर, बेलर आदि का प्रयोग अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही रीपर मशीन का प्रयोग न करने वाले कम्बाइन मशीन मालिको के विरूद्ध सिविल दायित्व भी निर्धारित किए जाने के निर्देश है।

जिलाधिकारी ने जनपद के समस्त कम्बाइन मालिको को निर्देश दिये हैं कि जिन कृषको का धान की फसल उनके द्वारा कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई की जाती है, उनसे यह सुनिश्चित कर लें, कि कटाई के उपरान्त फसल अवशेष नही जलायेंगे, यदि इसके उपरान्त भी पराली संबंधित कृषक द्वारा जलायी जाती है, तो कृषक के साथ-साथ कम्बाइन धारक का भी दायित्व निर्धारित करते हुए कम्बाइन सीज/विधिक कार्यवाही की जायेंगी। मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली द्वारा अवशेष जलाने पर खेत के क्षेत्रफल के अनुसार अर्थदण्ड 02 एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले कृषको से रू0 2500, 02 से 05 एकड़ वाले कृषको से रू0 5000 एवं 05 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले कृषको से रू0 15000 की क्षतिपूर्ति प्रति घटना की वसूली की जायेंगी। साथ ही दोषी के विरूद्ध कठोर दण्ड का भी प्रावधान किया गया है।

इसके लिए न्याय पंचायत स्तर पर नोडल अधिकारी भी नामित किये गए हैं जो निरन्तर भ्रमणशील रह कर तत्काल सूचनाएं प्रेषित कर रहे हैं एवं दोषी कृषकों के विरुद्ध अर्थदंड रोपित करवा रहे हैं। पराली की निगरानी के लिए सेटेलाइट के माध्यम से प्रतिदिन बुलेटिन प्राप्त होता है जिसके आधार पर कठोर कार्यवाही की जा रही है। कृषकों को पराली को निकट की गौशालाओं में पराली दान करने अथवा बदले में खाद लेने की भी कार्य योजना बनाई गई है। जनपद में कृषि विभाग की ओर से वेस्ट डिकॉम्पोजर भी वितरित किये गए हैं जिसकी सहायता से पराली को तेजी से खाद में बदलने वाला घोल तैयार करके कृषक पराली पर छिड़क रहे हैं। पराली जलाने वाले कृषकों को भविष्य में कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं से मिलने वाले लाभ से भी वंचित किया जा सकता है। उन्हांने सभी किसानों से अपील की है कि पराली को न जलायें, इसको संबंधित या नजदीकी गौशालाओं पहुॅचायें, जिससे गाय आदि जानवरों के लिए चारा की व्यवस्था हो सके और खेत एवं प्रदूषण में हो रहे नुकसान से बचा जा सके।

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