
आजादी का अमृत महोत्सव एवं गांधी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में जिला न्यायाधीश ने गांधी के जीवन पर डाला प्रकाश
मथुरा। गांधी जयंती पर आज केन्द्रीय कक्ष में आयोजित महात्मा गाँधी जयन्ती के कार्यक्रम समापन उपरान्त उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार “आजादी का अमृत महोत्सव” का देशव्यापी कार्यक्रम का उद्घाटन महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रातः 11.00 बजे से विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किया गया, जिसको न्यायिक अधिकारियों द्वारा यूट्यूव लिंक के माध्यम से देखा गया तथा इसका प्रसारण सम्पूर्ण जनपद में कराया गया। यहां आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ न्यायाधीश मथुरा विवेक संगल तथा प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, मथुरा डा. विदुषि सिंह द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित किये गये। तदोपरान्त सभी न्यायिक अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चित्र पर पुष्प अर्पित किये गये ।
आशुलिपिक अटलराम चतुर्वेदी व लेखा लिपिक महावीर सिंह द्वारा काव्य पाठ व गीत के माध्यम से राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चरित्र का वर्णन किया गया। सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा 02 अक्टूबर के महत्व को बताते हुए कहा कि 02 अक्टूबर का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। 02 अक्टूबर को प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सत्य और अहिंसा को लेकर बापू के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे ।
वक्तागण में अपर जिला जज हरविंदर सिंह, अपर जिला जज विपिन कुमार, अपर जिला जज/नोडल अधिकारी श्री देवकान्त शुक्ला, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राकेश सिंह, अपर सिविल जज (जू0 डि0) अम्बर राणा, अध्यक्ष बार एसोसिएशन मथुरा अजीत तेहरिया, सदस्य स्थायी लोक अदालत सुश्री प्रतिभा शर्मा द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सम्बंध में अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने लंदन में कानून की पढ़ाई की थी। लंदन से बैरिस्टर की डिग्री हासिल कर उन्होंने बड़ा अफसर या वकील बनना उचित नहीं समझा, बल्कि अपना पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया। अपने जीवन में उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन किए। वह हमेशा लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे। चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन उनके प्रमुख आंदोलन रहे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जनपद न्यायाधीश विवेक संगल द्वारा कहा गया कि आज 02 अक्टूबर को न सिर्फ हिंदुस्तान, बल्कि दुनिया के कई देश राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती मना रहे हैं। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। आगे चलकर लोगों के बीच वह बापू के नाम से पुकारे जाने लगे। बापू ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत के दम पर अंग्रेजों को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दूनिया ने सलाम किया। यही वजह है कि आज पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी गाँधी जयन्ती को मनाता है। गाँधी जी इस बात में विश्वास रखते थे कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते। उन्होंने विरोध करने के लिए सत्याग्रह का रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा हम गाँधी जी का काफी सम्मान करते हैं, लेकिन उनके सपने तो तभी पूरे होंगे जब हम उनके बताए शांति, अहिंसा, सत्य, समानता, महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे आदर्शों पर चलेंगे। तो आज के दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए