श्रीकृष्ण-जन्मस्थान पर मनाई गई जानकी जयन्ती

 

मथुरा। जानकी नवमी के पावन अवसर पर बृहस्पतिवार को श्रीकृष्ण-जन्मस्थान स्थित भागवत भवन में विराजित माता जानकी की जयन्ती परंपरागत रूप से विधिविधान पूर्वक मनायी गयी। नियत मुहूर्त के अनुसार कलश स्थापना एवं पंचोपचार पूजन के पश्चात पंचामृत अभिषेक उपरान्त आरती की गयी।
इस अवसर माता जानकी जी के श्रीविग्रह का विषिश्ट श्रंगार पूजाचार्यगण द्वारा कर उन्हें श्रंगार सामग्री अर्पित की गयी। आरती के उपरान्त उपस्थितजन को प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त मुख्य अधिशाषी राजीव श्रीवास्तव, विशेष कार्याधिकारी विजय बहादुर सिंह, रामअवतार अवस्थी, महेशचंद शर्मा, श्रीकृष्ण झा, श्रीकृष्ण बिहारी पाठक, ब्रह्मानन्द मिश्रा, राधाबल्लभ आचार्य, मनीश कुमार आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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श्रीकेशवदेव मंदिर पर हुआ गंगा जयंती का उत्सव
बुधवार को श्रीकेशवदेव मन्दिर में स्थित गंगाजी के अति प्राचीन श्रीविग्रह का विधिविधान पूर्वक पंचोपचार पूजन व पंचामृताभिषेक कर गंगा जयन्ती का उत्सव परंपरागत रूप से मनाया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन स्वर्ग से गंगाजी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था और भगीरथ की तपस्या सफल हुई थी ।
इस अवसर पर वर्तमान में गंगा व यमुना की प्रदूषित स्थिति से आहत श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी श्रीयमुनाजी की दशा भी संतोषजनक नहीं है, यदि सभी आस्थावान जन अब भी जाग्रत नहीं हुए तो ये सदानीरा नदियॉ इतिहास का विषय होकर रह जायेंगी ।
श्री शर्मा ने कहा कि बिना यमुनाजी को निर्मल किये गंगाजी को निर्मल करने की कल्पना करना भी व्यर्थ है ।  उन्होंने सम्पूर्ण समाज का आवाहन किया कि वे इन पवित्र नदियों में एक बूॅद भी प्रदूशित जल किसी भी स्थिति में न गिरने देने का संकल्प आज के दिन लें।बुधवार को श्रीकेशवदेव मन्दिर में स्थित गंगाजी के अति प्राचीन श्रीविग्रह का विधिविधान पूर्वक पंचोपचार पूजन व पंचामृताभिषेक कर गंगा जयन्ती का उत्सव परंपरागत रूप से मनाया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन स्वर्ग से गंगाजी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था और भगीरथ की तपस्या सफल हुई थी ।
इस अवसर पर वर्तमान में गंगा व यमुना की प्रदूषित स्थिति से आहत श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी श्रीयमुनाजी की दशा भी संतोषजनक नहीं है, यदि सभी आस्थावान जन अब भी जाग्रत नहीं हुए तो ये सदानीरा नदियॉ इतिहास का विषय होकर रह जायेंगी। श्री शर्मा ने कहा कि बिना यमुनाजी को निर्मल किये गंगाजी को निर्मल करने की कल्पना करना भी व्यर्थ है ।  उन्होंने सम्पूर्ण समाज का आवाहन किया कि वे इन पवित्र नदियों में एक बूॅद भी प्रदूशित जल किसी भी स्थिति में न गिरने देने का संकल्प आज के दिन लें।

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