
सुनरख के पास 130 हैक्टेअर भूमि पर वन विभाग लगायेगा श्रीकृष्ण की प्रिय प्रजातियों के 76875 पौधे
भगवान श्रीकृष्ण की कालीयदेह दमन लीला और सौभरि ऋषि की तपोस्थली पुनः प्राकट्य होने से विकसित होगा धार्मिक पर्यटन
मथुरा। जनपद मथुरा में वृन्दावन के पास ग्राम सुनरख के पास 130 हैक्टेयर भूमि पर सौभरि वन (नगर वन) मथुरा की विकास परियोजना के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा के सभागार में गुरूवार शाम बैठक सम्पन्न हुई।
प्रेसवार्ता में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल, मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नगेन्द्र प्रताप और वन विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों ने बताया कि ग्राम सुनरख के पास 130 हैक्टेयर भूमि पर वन विभाग द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय प्रजातियों के 76875 पौधों का वृक्षारोपण किया जायेगा । चयनित स्थल पर बनाये जा रहे प्रजातिवार ब्लाकों की कॉटेदार तारबाड़ से घेरवाड़ वन विभाग द्वारा की जायेगी। चयनित स्थल की परिधि सीमा पर खम्भों पर कॉटेदार तारबाड़ की घेरवाड़ एवं 4 वाच टावरों की स्थापना का कार्य मथुरा – वृन्दावन विकास प्राधिकरण के वित्त पोषण से की जायेगी ।. परियोजना में प्रस्तावित अवशेष कार्य यथा पौधालय स्थापना , मियाँबाकी वृक्षारोपण , जल एवं मृदा संरक्षण हेतु जल निकाय एवं जल निकासी वाहिकाओं का निर्माण , लैण्ड स्केपिंग की द्वितीय चरण की परियोजना का निरूपण वन विभाग द्वारा और वित्त पोषण उ 0 प्र 0 ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा अग्रिम वर्ष में की जायेगी। चयनित स्थल को अतिकमण से मुक्त कराकर व परियोजना को अन्तिम परिणिति तक पहुँचाने में जिला प्रशासन द्वारा नेतृत्व किया जायेगा ।
सौभरि वन ( नगर वन ) वृन्दावन मथुरा की इस महत्वाकाँक्षी परियोजना का क्रियान्वयन एवं प्रबन्धन स्थानीय जिला प्रशासन , उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद , मथुरा , मथुरा – वृन्दावन विकास प्राधिकरण , मथुरा एवं वन विभाग द्वारा समेकित रूप से किया जायेगा।
चयनित परियोजना स्थल के एक ओर कोसी ड्रेन और दूसरी ओर यमुना नदी है। बीच का यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण की कालीयदेह दमन लीला और सौभरि ऋषि की तपोस्थली है। इस कारण चयनित क्षेत्र पौराणिक , धार्मिक और ऐतिहासिक रूप में अत्यन्त महत्वपूर्ण है । इस दिव्य लीलास्थली का पुनः प्राकट्य होने से क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन विकसित होगा। जिलाधिकारी ने बताया कि ग्राम सुनरख में आज भी सौभरि ऋषि का आश्रम है । विष्णु पुराण , देवी भागवत पुराण एवं श्रीमद् भागवत पुराण के नवे स्कन्द के छठे अध्याय में सौभरि ऋषि के विषय में वर्णन उद्धृत है , सौभरि ऋषि की इस तपोस्थली पर अनुष्ठान करने और भक्ति – भाव से दर्शन करने से समयान्तर्गत वर्षा होना और इच्छा करने पर वंश वृद्धि होने की मनोकामना पूर्ण होती है।