शरद पूर्णिमा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि में महारास तो बांकेबिहारी मंदिर सहित मथुरा वृंदावन के कई मंदिरों में बरसेगा भक्ति का अमृत खीर एवं चंद्रकला का भोग लगाया जाएगा जन जन के आराध्य श्रीबांकेबिहारी को आज रंगनाथ भगवान होंगे रजत निर्मित चंद्रप्रभा में विराजमान

 

खीर एवं चंद्रकला का भोग लगाया जाएगा जन जन के आराध्य श्रीबांकेबिहारी को

 

आज रंगनाथ भगवान होंगे रजत निर्मित चंद्रप्रभा में विराजमान

 

मथुरा। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस खास अवसर पर ठाकुरजी के दर्शन के लिए ब्रज में सभी मंदिरों में विशेष तैयारियां की जा रही हैं, जिससे धवल चांदनी के बीच भक्तजन अपने इष्टदेव के दर्शन कर सकें। शरद पूर्णिमा पर ठाकुर श्रीबांकेबिहारी महाराज वर्ष में एक ही दिन बांसुरी, मोर मुकुट कट काछनी पोशाक हार तथा लकुटी आदि धारण कर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। वहीं श्रीकृष्ण जन्मभूमि में होगा महारास का आयोजन और छप्पन भोग के दर्शन, वहीं प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मंदिर में भी शरद पूर्णिमा को लेकर आज विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

सेवा अधिकारी बिट्टू गोस्वामी ने बताया कि 20 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा वाले दिन ठाकुरजी का विशेष शृंगार होगा। सोने चांदी का शृंगार जयपुर में कारीगरों ने तैयार किया है। ठाकुर श्रीबांकेबिहारी जी महाराज की सफेद पोशाक दिल्ली के चांदनी चैक में विशेष कारीगरों ने बनाई है। ठाकुर श्री राधा सनेह बिहारी जी एवं ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के सेवा अधिकारी करन कृष्ण गोस्वामी ने बताया की श्रीमद्भागवत में वर्णन के अनुसार शरद पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना किनारे गोपियों के साथ रात्रि वृंदावन में वंसीवट पर महारास किया था, इसलिए शरद पूर्णिमा वाले दिन ठाकुर श्रीबांकेबिहारी जी महाराज को शृंगार मोर मुकुट कट काछनी व बंसी धारण कराई जाती है। उस दिन ठाकुरजी को विशेष रूप से खीर एवं चंद्रकला का भोग चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात लगाया जाता है।

इस दिन के बाद से ठाकुरजी की शीतकालीन भोगराग की सेवाएं प्रारंभ हो जाएंगी। प्रसाद में मेवा प्रयोग इत्र में हिना का प्रयोग एवं दूध भात में केसर का प्रयोग प्रारंभ हो जाएगा। शरद पूर्णिमा के दिन ठाकुरजी को बंसी चढ़ाने का बहुत विशेष महत्व है। प्रदीप गोस्वामी, अरविंद गोस्वामी, अनुभव गोस्वामी, यशू गोस्वामी, रघु गोस्वामी, कृष्णा गोस्वामी, कृष्ण कांत शर्मा, लगन भारद्वाज, कृष्ण मुरारी शर्मा, अरुण बोस, रमण पंडित, दिनेश पंडित, राम पंडित, नीलांबर पंडित ने तैयारियों पर मंथन किया। श्री रंगनाथ मंदिर में शरद पूर्णिमा उत्सव 20 अक्तूबर को मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा के अवसर पर भगवान रंगनाथ माता गोंदा के साथ गरुड़ स्तंभ के पास स्थित रजत निर्मित चंद्रप्रभा में विराजमान हो कर दर्शन देंगे। चंद्रमा की धवल चांदनी में विराजमान भगवान रंगनाथ के समक्ष शरद पूर्णिमा पर संगीत नृत्य महोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा।

मंदिर की मुख्य अधिशासी अधिकारी अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार की शाम डॉ. श्री धर वासुदेवन शास्त्रीय संगीत के जरिये भगवान की संगीत नृत्य सेवा करेंगे। उन्होंने इस अवसर पर सभी भक्तों और संगीत कला प्रेमियों से इस उत्सव के दर्शन करने और संगीत नृत्य महोत्सव में शामिल होने की अपील की है।

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