
संघ के शिक्षा वर्ग का समापन कार्यक्रम हुआ सम्पन्न
संघ का प्रशिक्षित स्वयंसेवक सैनिक के समान होता है
वर्ग में दिए गए प्रशिक्षण का हुआ जोरदार प्रदर्शन
दण्ड और नियुद्ध के प्रदर्शन ने जीता दर्शकों का दिल
आसन एवं योग के प्रदर्शन को भी दर्शकों में सराहा।
मथुरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विगत 20 दिनों से ओल में चल रहे संघ शिक्षा वर्ग(प्रथम वर्ष) का समापन गुरूवार हो गया। समापन कार्यक्रम का शुभारंभ परम पवित्र भगवा ध्वज को यथास्थान पर आसीन करा कर संघ की प्रार्थना से हुआ, उसके पश्चात दण्ड, नियुद्ध, आसन एवं युद्ध के प्रशिक्षण का हैरतअंगेज प्रदर्शन हुआ। वर्ग मे दिए प्रशिक्षण के प्रदर्शन को देख आये हुए दर्शकों ने दांतो तले उंगली दबा ली।
बौद्धिक सत्र में राजस्थान विधिक सेवा परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि विगत 96 वर्ष से संघ ने इस देश पर सर्वस्व समर्पित कर देने वाले स्वयंसेवक ही दिए हैं। संघ से दीक्षित एवं प्रशिक्षित स्वयंसेवक इस देश के अनमोल रतन है।
मुख्य अतिथि प्रसिद्ध राम कृष्ण कथा वाचक पूज्य ठाकुर संजीवकृष्ण महाराज में कहा कि संघ अपने स्वयंसेवक को इतना उच्च मानकों का प्रशिक्षण देता है, की स्वयंसेवक को समाज में आदर्श की दृष्टि से देखा जाता है। स्वयंसेवक का शुद्ध आचरण एवं व्यवहार ही उसके जीवन जीने का एकमात्र मार्ग होता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने कहा कि संघ में प्रशिक्षण प्राप्त करने शिक्षार्थी जब आये थे तब संघ को सिर्फ पहचानते थे, आज 20 दिन की साधना के पश्चात संघ को जान गए होंगे की संघ केवल संगठन नहीं एक परिवार है। उन्होंने आगे कहा कि सैकड़ों सालों के आक्रमण के पश्चात भी केवल हमारी संस्कृति ही बची हुई हुई है क्योंकि हमारी संस्कृति ने ऐसे स्वयंसेवक उत्पन्न कियेहैं जिनके लिए देश और उसकी अस्मिता ही सब कुछ होती है नहीं तो और कोई भी देश ऐसा इस धरती में बचा नहीं जिसकी संस्कृति पे हमला हुआ हो और वह नष्ट न हो गया हो। परंतु अपना देश न केवल खड़ा है बल्कि सम्पूर्ण विश्व को सिखा रहा है।
आज भी आतंकवाद के जोरदार प्रतिकार का पूरे विश्व मे कोई उदाहरण है तो वो केवल भारत का ही है, भारत वर्ष अनेक संघर्षों के पश्चात भी अपनी संस्कृति को बचाने में सफल है, और पूरे विश्व मे किसी भी देश मे इतने आततायी आक्रमण नहीं हुए जितने हम पर हुए परंतु हम केवल लहू बहाकर अपनी रक्षा ही नहीं कर रहे वरन दूसरों को भी जीवन जीने के आयाम सिखा रहे हैं। विदेशी इतिहासकारों ने भी लिखा है कि जितना भारत देश की संस्कृति ने आक्रमण सहे इतने आक्रमण के पश्चात हर संस्कृति ने हार मान ली, सिर्फ भारत ही है जो इसका प्रतिकार कर रहा है और स्थिर भी है। मंच परिचय वर्ग कार्यवाह पंकज ने कराया। वर्ग के सर्वव्यवस्था प्रमुख शिवकुमार ने वर्ग में आये हुए अन्य अतिथियों एवं व्यवस्था में लगे हुए बन्धुओं का परिचय कराया एवं वर्गमे सहयोग करने वाले सभी बन्धुओं का आभार भी प्रगट किया। एकलगीत चंद्रशेखर एवं अमृतवचन कन्हैया ने कराया।