
बसंतर दिवस पर स्ट्राइक वन मनाई स्वर्ण जयंती, शहीद सैनिकों को दी श्रद्धांजलि
मथुरा। मथुरा में बसंतर दिवस स्ट्राइक वन की स्वर्ण जयंती पर सभी ‘शहीद सैनिकों’ को गुरूवार श्रद्धांजलि दी गई । समारोह की शुरुआत कोर ‘वॉर मेमोरियल’ पर माल्यार्पण के साथ हुई इसके बाद ‘फर्स्ट डे कवर’ और बसंतर डे ट्रॉफी जारी की गई। समारोह में उच्च सैन्य अधिकारियों के अलावा जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर मुख्य विकास अधिकारी डॉ नितिन गौर एवं मुख्य न्यायिक अधिकारी (सीजेएम) भी शामिल हुए।
गौरतलब हो कि बसंतर की लड़ाई सैन्य इतिहास में सबसे भयंकर युद्धों में से एक थी जहां एक ही दिन में स्ट्राइक वन के बहादुरों ने 53 दुश्मन टैंकों को नष्ट कर दिया और 61 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। बसंतर की तीव्रता का अंदाजा सम्मानों और पुरस्कारों से लगाया जा सकता है; पांच युद्ध सम्मान, दो पी.वी.सी, 10 एम.वी.सी, 42 वी.आर.सी, 89 एस.एम और 28 का डिस्पैच में उल्लेख किया गया है। यह घटना महत्वपूर्ण है क्योंकि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान स्ट्राइक वन द्वारा दिखाई गई वीरता को न केवल भावी पीढ़ी के लिए इतिहास की किताबों में स्थायी रूप से अंकित किया गया है बल्कि दुनिया के ‘थिंक टैंकों’ के बीच भी दर्ज किया गया है कि ‘भारतीय सेना’ क्या करने में सक्षम है।
गुरूवार लेफ्टिनेंट जनरल एम.के कटियार ए.वी.एस.एम ने कहा कि आज ‘बसंतर की लड़ाई’ की 50 वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक अवसर पर मैं उस युद्ध के महान शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और स्ट्राइक 1 के परिवार को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। हम अपने राष्ट्र की सेवा के लिए खुद को फिर से समर्पित करते हैं और अपनी योग्यता साबित करने के लिए कड़ी मेहनत, प्रशिक्षण और तैयारी करते हैं। हम अपने आप को अपने राष्ट्र की सेवा के लिए फिर से समर्पित करें और ‘बसंतर के बहादुरों’ के योग्य उत्तराधिकारी के रूप में भविष्य के किसी भी संघर्ष में अपनी योग्यता साबित करने के लिए कड़ी मेहनत, प्रशिक्षण और अच्छी तैयारी करें। यह इतिहास 16 दिसंबर 1971 को रचा गया था जब भारतीय सेना के वीरों ने वीरता धैर्य दृढ़ नेतृत्व से देश के दुश्मन को खत्म करने और युद्ध में उनके नापाक इरादों को विफल करने के लिए दृढ़ता दिखाई।