प्रशासन और संचालन समिति की फुटबाल बना विद्युत शवदाहगृह

 

 

मथुरा । लगभग 9 माह पूर्व इलेक्ट्रिक एवं गैस शवदाह गृह तीन करोड़ रूपये की लागत से बनकर तैयार है, लेकिन इसमें शवों का अंतिम

संस्कार जिला प्रशासन और ध्रुवघाट संचालन समिति के बीच कुछ मामलों को लेकर समझौता न होने से अटका हुआ है। संचालन समिति का कहना है कि इसके विद्युत कनेक्शन का अधिभार आगरा की तरह नगर निगम प्रशासन को सौंपा जाए तभी इसका संचालन संभव है। लंबे समय से प्रदूषण से मुक्ति की दिशा में इलेक्ट्रिक एवं गैस विद्युत शवदाहगृह के निर्माण की शुरूआत लगभग एक दशक पूर्व हो चुकी थी, लेकिन समय-समय पर आई बांधाओं के कारण इसका पूरी तरह निर्माण नौ माहपूर्व ही संपन्न हो पाया है। अभी भी इसमें गैस प्लेट्स की व्यवस्था और सिलेंडरों का भंडारण निर्धारित नहीं हो पाया है। संचालन समिति से जुड़े शशिभानु गर्ग ने बताया कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद से प्रशासन के साथ संचालन समिति के पदाधिकारियों की तीन बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन परिणाम नहीं निकल पाए हैं। उन्होंने बताया कि विद्युत शवदाहगृह के संचालन के लिए 125 किलोवाट के विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता है, जिस पर संचालन के बाद पांच लाख रूपये प्रतिमाह का खर्चा आना है। आगरा में बजाजा कमेटी द्वारा ऐसे ही विद्युत शवदाहगृह का संचालन किया जा रहा है, जिसके विद्युत बिल भुगतान की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है। बताते हैं कि विद्युत शवदाहगृह की मशीन के उच्च तापमान पर आने के लिए तीन घंटे का समय चाहिए। पूरी तरह से संयत्र तापमान में होने पर आधे घंटे में एक शव का पूरी तरह से संस्कार संपन्न हो जाएगा, जिससे समय के साथ-साथ अंतिम संस्कार पर होने वाला खर्चा भी घटेगा। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस शमशान के संचालन के लिए ध्रुवघाट समिति की बातें मानता है कि नहीं और इसमें कितनी देरी होगी यह कहा नहीं जा सकता।

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