बांके बिहारी जी की प्रकट्य स्थली निधिवन के रंग महल में होली की धूम, भक्त हुए रंगों में सराबोर

 

मथुरा। इन दिनों भगवान बांके बिहारी की प्रकट्य स्थली निधि वन में होली की मस्ती छाई हुई है। यहां भक्त रंगों में सराबोर हो रहे हैं और कह रहे हैं सब जग होली या ब्रज होरा। निधि वन जहां के बारे में कहा जाता है कि आज भी यहां रात में भगवान राधा कृष्ण रास करने के लिए आते हैं। इसी निधि वन से सैकड़ों वर्ष पहले स्वामी हरिदास ने अपनी संगीत साधना से भगवान बांके बिहारी जी को जमीन से प्रकट किया था। स्वामी हरिदास जी के बारे में कहा जाता है कि वह द्वापर युग में ललिता सखी के अवतार में थे।

 

भगवान बांके बिहारी की प्रगट स्थली निधि वन के बारे में कहा जाता है कि आज भी रात के समय यहां कोई भी जीव नहीं रुकता। मान्यता है कि भगवान राधा कृष्ण यहां रास करने के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारी रात के समय शयन आरती करने के बाद मंदिर को बंद कर देते हैं। मंदिर बन्द करने से पहले पूरे वन को देखा जाता है कि कोई छुपा हुआ तो नहीं है। इसके बाद पुजारी मंदिर से बाहर चले जाते हैं। निधि वन में रात को जाने से पहले पुजारी यहां बने रंग महल में भगवान की शय्या लगाते हैं। इस शय्या पर दातुन, लड्डू, बीड़ा ( पान) और लोटा में जल रखकर जाते हैं। सुबह के समय जब पुजारी आते हैं और रंग महल का ताला खोलते हैं तो सभी श्रद्धालु दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं। रंग महल में भगवान के लिए रखी चीजें प्रयोग की हुई मिलती हैं। जैसे यहां भगवान साक्षात आये हों। इसी रंग महल में मंगला आरती के समय होली खेली जाती है। मंदिर के पुजारी रंग महल में पहले भगवान राधा कृष्ण को गुलाल लगाते हैं और उसके बाद भक्तों पर गुलाल डालते हैं। रंग महल में होली सुबह मंगला आरती के समय खेली जाती है। मंदिर के पुजारी रोहित गोस्वामी ने बताया कि रंग महल है तो यहां रंगों का महत्व है। यहां बसंत पंचमी से होली खेली जाती है। बसंत पंचमी से एकादशी तक भक्तों पर गुलाल डाला जाता है। एकादशी से होली तक भक्त अपने भगवान के साथ होली खेलते हैं। होली के दौरान यहां चल रहे होली के गीतों पर दर्शन करने आते भक्त झूमने को मजबूर हो जाते हैं।

 

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