
चंदन निर्मित साठ फीट ऊंचे रथ में विराजित हो कर भगवान ने भक्तो को दिए दर्शन
मथुरा। वृन्दावन उत्तर भारत में दक्षिणात्य शैली के विशालतम श्री रँग मन्दिर के चंदन निर्मित विशाल रथ में विराजित ठाकुर गोदा रँगमन्नार भगवान के दर्शनार्थ भक्तो का सैलाब उमड़ पड़ा। साठ फीट ऊंचे ठाकुर जी के भव्य रथ को खींचने के लिये भक्तो में होड़ लगी रही। श्री रँग मन्दिर दिव्यदेश के दस दिवसीय ब्रम्होत्सव के सातवें दिन ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान चन्दन निर्मित विशालकाय रथ पर विराजमान होकर भक्तो को कृतार्थ करने निकले।
दक्षिण भारतीय शैली में वेदमंत्रोच्चारण के मध्य पूजा अर्चना के साथ जैसे ही रथ में विराजमान ठाकुरजी की सवारी शुरु हुई तो पूरा मेला परिसर ठा. गोदारंगमन्नार के जयकारों और दक्षिण भारतीय वाद्ययंत्रों की गूंज से गुंजायमान हो उठा। हर कोई भगवान गोदारंगमन्नार के दर्शन कर एवं रथ को खींच कर पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए लालायित दिख रहा था।
वैदिक रीतिरिवाज से मंदिर के पुरोहित विजयकिशोर मिश्र व गोविंदकिशोर मिश्र ने वेदमंत्रोच्चारण कर देव आह्वान, नवग्रह स्थापन, गणपति आह्वान आदि देवों का पूजन वंदन कर दशों दिशाओं को सुरक्षित कराए जाने के उपरांत पेठे की बलि दी गई। करीब 15 फुट चौड़े, 20 फुट लंबे व 60 फुट ऊंचे रथ की छवि देखते ही बनती थी। उच्चश्रेवा नामक चार श्वेत घोड़ों की लगाम थामे पार्षद, मुख्य पार्षद जय विजय, दिग्पाल, विश्वकसेन आदि देवताओं से सुसज्जित रथ पर सजी रंगबिरंगी पताकाएं, देशी-विदेशी सुगन्धित पुष्प, केले के तने, हरे पत्तों से रथ का आकर्षण अपनी दिव्यता से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। लगभग तीन घंटे में रथ ने करीब सात सौ गज का सफर तय किया। ऐसी मान्यता है कि रथ में विराजमान ठाकुरजी के दर्शन और उनके पवित्र रथ को खींचने से भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है और उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। विशाल रथ में विराजमान ठाकुरजी की झलक पाने के लिए आसपास के ग्रामीण इलाकों समेत अलीगढ़, आगरा, हाथरस समेत भरतपुर और हरियाणा से भी भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।