स्वर्ण-रजत हिंडोले में 76वीं बार विराजेंगे श्रीबांकेबिहारी 

 

 

हरियाली तीज पर वर्ष में केवल एक बार हिंडोले में विराजते हैं लाड़ले ठाकुर

 

वृन्दावन । श्रावण शुक्ल तृतीया अथवा हरियाली तीज को वृन्दावन के लाड़ले ठाकुर बांकेबिहारी महाराज स्वर्ण-रजित मंडित हिंडोले में 76 वी बार विराजेंगे। वर्ष में केवल एक ही दिन लाडले के झूलनोत्सव के दर्शनों का सुख भक्तों को प्राप्त होता है। इन दर्शनों के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु बड़ी तादाद में वृन्दावन पहुंचते हैं। आजादी के चार दिन बाद 19 अगस्त 1947 को हरियाली तीज के दिन ही बांकेबिहारी पहली बार इस आकर्षक और मनमोहक हिंडोले में भक्तों को दर्शन देने के लिए विराजमान हुए थे। 22 किलो शुद्ध सोने तथा 1000 किलो चांदी से बने इस हिंडोले को जयपुर और वाराणसी के कारीगरों छोटेलाल तथा ललन भाई द्वारा लगभग 5 वर्षों के श्रम के बाद तैयार किया गया था। जिसमें उस वक्त लगभग 25 लाख रुपये की लागत आई।

हिंडोले का निर्माण बांकेबिहारी के भक्त कलकत्ता के सेठ हरगुलाल ने भक्तों को जोड़कर करवाया था। हिंडोले में तीन मेहराव हैं, मध्य मेहराव में बांकेबिहारी महाराज को विराजित कर गोस्वामीगण हिंडोला झुलाते हैं। जिनके दर्शन झीने पर्दे की ओट से होते रहते हैं। वहीं दाईं तथा बाईं ओर दो-दो रजत की सखियां बांकेबिहारी की सेवा में तत्पर खड़ी हैं। जिनमें दो चंवर सेवा कर रही हैं और दो हाथ में भोग निवेदित करने को तत्पर हैं। झूले में सुंदर कारीगरी के 8 खंभे और तीनों मेहराबों के शीर्ष पर दर्पण और इनकी दोनों ओर मयूर स्थित हैं। सेवायतों ने बताया कि लाडले बांकेबिहारी को हरे रंग की जड़ाऊ पोशाक और विशिष्ट अलंकरण धारण कराए जायेंगे। इन त्रिभुवनमोहन दर्शनों के लिए देश विदेश के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। बांके बिहारी के साथ ही वृन्दावन के अन्य आराध्य भी हिंडोले में विराजेंगे।

दक्षिण भारतीय स्थापत्य शिल्प के अद्भुत रंगनाथ मंदिर में रजत हिंडोले में भगवान गोदारंगमन्नार विराजेंगे। यहां का हिंडोलोत्सव हरियाली तीज से शुरू होकर रक्षाबंधन तक 13 दिवसीय महोत्सव के रूप में अयोजित होता है। ठा. राधारमण लाल, राधावल्लभ लाल तथा निम्बार्क संप्रदाय के श्रीजी मंदिर में भी चांदी के हिंडोले में आराध्य विराजते हैं। हालांकि यहां का हिंडोलोत्सव एकदिवसीय नहीं होता। हरियाली तीज के बाद से रक्षाबंधन तक अलग-अलग प्रकार के हिंडोले सजाकर ठाकुर जी को विराजित किया जाता है।

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