संस्कृति व संस्कार की भाषा है संस्कृत:स्वामी गौरवानंद

 

मथुरा।गृहे गृहे संस्कृतम् अभियान के अन्तर्गत ब्रजप्रांत के सभी जनपदों में संस्कृत भारती ब्रजप्रांत द्वारा संस्कृत सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं।

इसी क्रम में संस्कृत भारती ब्रजप्रांत मथुरा जनपद का संस्कृत सम्मेलन वृन्दावन मार्ग गायत्री तपोभूमि के सामने कृष्णचंद्र गांधी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित संस्कृत भारती ब्रजप्रांत संगठन मंत्री नरेन्द्र भागीरथी ने अखिल भारतीय स्तर पर संस्कृत भारती द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में विश्व के अनेक देशों में हमारी संस्कृत भाषा का पठन पाठन किया जा रहा है और संस्कृत के प्राचीन धर्मग्रंथों पर शोध कार्य किए जा रहे हैं।अतः भारत की युवा पीढ़ी को भी संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए हमें कार्य करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि बल्लभ वेदान्ताचार्य परम् पूज्य श्री भूषण गोस्वामी महाराज ने कहा कि भारत का प्राचीन चिन्तन, विचार, संस्कृति, एवं जीवन संस्कृत के ही माध्यम से विकसित हुआ है। अपने भीतर असीम ज्ञान विज्ञान को समेटने वाली संस्कृत भाषा में कोटि कोटि शब्दों के निर्माण करने की अद्भुत क्षमता है।

सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि सोऽहम् आश्रम के महन्त स्वामी गौरवानन्द महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत भारती द्वारा संस्कृत भाषा को जनसाधारण की भाषा बनाने के उद्देश्य से जिस प्रकार विद्यालयों में संभाषण शिविर, अभ्यास वर्ग, नैपुण्यवर्ग, बालकेन्द्र आदि चलाए जा रहे हैं वह अत्यंत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा हमारे सभी प्राचीन ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं उन्हें समझने के लिए वर्तमान पीढ़ी को संस्कृत भाषा का ज्ञान कराना अति आवश्यक है। भारत में हुए हजारों वर्ष पूर्व विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों का आधार भी संस्कृत भाषा के धर्मग्रंथ ही हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महामहोपाध्याय आचार्य बद्रीश महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत के माध्यम से भारत की सामाजिक समरसता एवं सर्वतोमुखी प्रगति ही संस्कृत भाषा का परम लक्ष्य है। उन्होंने कहा संस्कृत संस्कार देने वाली भाषा है संस्कृत भाषा वर्तमान में पूजा पाठ तक सीमित नहीं है अब तो विश्व की सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्था नासा ने भी संस्कृत भाषा को सबसे श्रेष्ठ भाषा के रुप में स्वीकार किया है।

सम्मेलन का शुभारंभ मां सरस्वती व भारत माता के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण कर व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया ।सोऽहम् आश्रम के छात्रों द्वारा स्वस्तिवाचन किया गया। महानगर मंत्री मुरलीधर चतुर्वेदी द्वारा अतिथियों का परिचय कराया गया।

संस्कृत भारती ब्रजप्रांत मथुरा महानगर, अध्यक्ष आचार्य ब्रजेन्द्र नागर , कोषाध्यक्ष योगेश उपाध्याय आवा , प्रचार प्रमुख रामदास चतुर्वेदी,सहमंत्री भगतसिंह राधा शर्मा द्वारा पधारे हुए अतिथियों का शाल, दुपट्टा स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत सम्मान किया गया।। इस अवसर पर संस्कृत भाषा के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी का गोस्वामी श्री भूषण बाबा जी द्वारा सम्मान किया गया। सम्मेलन में संस्कृत भारती ब्रजप्रांत न्यास अध्यक्ष ओमप्रकाश बंसल, संस्कृत भारती ब्रजप्रांत मंत्री धर्मेन्द्र कुमार अग्रवाल, सहमंत्री गौरव गौतम, कोषाध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

सम्मेलन में संस्कृत भारती के प्रशिक्षण वर्ग में भाग लेने वाले छात्र छात्राओं ने संस्कृत भाषा में मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम के अंत में संस्कृत भारती ब्रजप्रांत मथुरा महानगर अध्यक्ष आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने संस्कृत भारती द्वारा संस्कृत भाषा को जनसाधारण की भाषा बनाने के लिए आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए सम्मेलन में पधारे हुए सभी सम्मानित अतिथियों व जनपद भर से पधारे हुए सभी सम्मानित संस्कृत विद्वानों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम का संचालन राधा शर्मा द्वारा किया गया।सम्मेलन का समापन रामदास चतुर्वेदी शास्त्री द्वारा कल्याण मंत्र से किया गया।

इस अवसर पर गणेश शंकर पाण्डेय , डा डी पी गोयल,कैलाश अग्रवाल, गोविन्द दास शर्मा, रुद्रप्रताप सिंह, गोविन्द शर्मा, ब्रजमोहन सैनी,बासु जी, अनिल मीत्तल जगदीश शर्मा ,विजय अग्रवाल बण्टा,संस्कृत भारती मथुरा महानगर मंत्री , प्रचार प्रमुख रामदास चतुर्वेदी शास्त्री पूर्व पार्षद, हरस्वरुप यादव, टीकाराम पांडेय विस्तारक देवव्रत तोमर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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