प्रिंसिपल ने नियम विरुद्ध लिपिक को बना दिया था चपरासी

उच्च न्यायालय ने बनाया लिपिक, प्रिंसिपल की विशेष अपील हुई खारिज

 

मथुरा ।चंपा अग्रवाल इंटर कॉलेज में कार्यरत लिपिक को उसके प्रिंसिपल ने चपरासी बना दिया। पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने लिपिक पद के आदेश दिए। प्रिंसिपल ने अपनी तोहीन जान उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अपील दायर की। अपील को खारिज कर दिया।

 

मामला शहर के चंपा अग्रवाल इंटर कॉलेज का है इस कॉलेज में वृंदावन से अपना ट्रांसफर करा कर आए राकेश महेश्वरी ने कॉलेज के लिपिक गिरधारी लाल को चपरासी जिला विधालय निरीक्षक भास्कर मिश्रा से मेलजोल कर डिमोशन करा दिया। पीड़ित कर्मचारी ने अपने डिमोशन के खिलाफ शासन प्रशासन हर जगह प्रत्यावेदन दिया जब किसी ने छोटे कर्मचारी की सुनवाई नहीं की तो उसने उच्च न्यायालय की शरण ली जहा उसे न्याय मिला और गिरधारी लाल को लिपिक पद पर बने रहने के आदेश दिए। अहंकारी प्रिंसिपल राकेश महेश्वरी ने इस आदेश को अपनी नाक कटने का सवाल बनाते हुए उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विशेष अपील दायर की। उच्च न्यायालय ने राकेश महेश्वरी की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर

दिया। राकेश महेश्वरी की तरफ से पैरवी अधिवक्ता वशिष्ठ तिवारी ने एवं गिरधारी लाल की पैरवी अधिवक्ता कमल किशोर केसरवानी ने की। केसरवानी ने बताया कि प्रत्यावेदन को जिला विधालय निरीक्षक भास्कर मिश्रा द्वारा सुना जाता तो छोटे कर्मचारी को उच्च न्यायालय की शरण नहीं लेनी पड़ती। छोटे कर्मचारी पावरफुल लोगो द्वारा नियम विरुद्ध किए जाने वाले उत्पीड़न को सहन करते है यदि छोटे कर्मचारी सही है तो उन्हें डरने उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।

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