– भागवत आचार्य आलोक चतुर्वेदी बैंकर को परशुराम की प्रतिमा देकर किया सम्मानित
मथुरा। भगवान परशुराम हरि के छठे अवतार थे उन्होंने ना केवल पापियों का संघार किया बल्कि  सनातन धर्म संस्कृति एवं गौ रक्षा के लिए  अनुकरणीय कार्य किया। छावनी परिषद क्षेत्र के हनुमान नगर में आयोजित कार्यक्रम में एनयूजेआई के राष्ट्रीय सचिव, उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं ब्रज प्रेस क्लब के अध्यक्ष कमलकांत उपमन्यु एडवोकेट एवं राष्ट्रीय संयुक्त अधिवक्ता मंच की महिला प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष एवं स्पेशल डीजीसी श्रीमती अलका उपमन्यु एडवोकेट ने ब्रज क्षेत्र के भागवत आचार्य श्री आलोक चतुर्वेदी बैंकर को अक्षय तृतीया महापर्व पर भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के उपलक्ष में श्री चतुर्वेदी जी का सम्मान करते हुए उन्हें भगवान परशुराम की मूर्ति प्रदान की। इस अवसर पर श्री उपमन्यु ने कहा कि भगवान परशुराम भगवान हरि के छठे अवतार थे तथा जीवन भर उन्होंने गोरक्षा एवं माता पिता की सेवा एवं संस्कृति के लिए कार्य किया, जो लोग उस समय ब्राह्मणों पर अत्याचार करते थे या हवन यज्ञ में विघ्न डालते थे गो का वध करते थे उनका संघार किया। भगवान परशुराम के जीवन से हमें यह सीख लेनी चाहिए मां-बाप की सेवा एवं गौ रक्षा और संस्कृति के लिए हमेशा कार्य करना चाहिए।
हरि के छठे अवतार थे भगवान परशुरामः उपमन्यु
– भागवत आचार्य आलोक चतुर्वेदी बैंकर को परशुराम की प्रतिमा देकर किया सम्मानित
मथुरा। भगवान परशुराम हरि के छठे अवतार थे उन्होंने ना केवल पापियों का संघार किया बल्कि  सनातन धर्म संस्कृति एवं गौ रक्षा के लिए  अनुकरणीय कार्य किया। छावनी परिषद क्षेत्र के हनुमान नगर में आयोजित कार्यक्रम में एनयूजेआई के राष्ट्रीय सचिव, उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं ब्रज प्रेस क्लब के अध्यक्ष कमलकांत उपमन्यु एडवोकेट एवं राष्ट्रीय संयुक्त अधिवक्ता मंच की महिला प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष एवं स्पेशल डीजीसी श्रीमती अलका उपमन्यु एडवोकेट ने ब्रज क्षेत्र के भागवत आचार्य श्री आलोक चतुर्वेदी बैंकर को अक्षय तृतीया महापर्व पर भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के उपलक्ष में श्री चतुर्वेदी जी का सम्मान करते हुए उन्हें भगवान परशुराम की मूर्ति प्रदान की। इस अवसर पर श्री उपमन्यु ने कहा कि भगवान परशुराम भगवान हरि के छठे अवतार थे तथा जीवन भर उन्होंने गोरक्षा एवं माता पिता की सेवा एवं संस्कृति के लिए कार्य किया, जो लोग उस समय ब्राह्मणों पर अत्याचार करते थे या हवन यज्ञ में विघ्न डालते थे गो का वध करते थे उनका संघार किया। भगवान परशुराम के जीवन से हमें यह सीख लेनी चाहिए मां-बाप की सेवा एवं गौ रक्षा और संस्कृति के लिए हमेशा कार्य करना चाहिए।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

विज्ञापन बॉक्स
विज्ञापन बॉक्स

Related Articles

Close
[avatar]