
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर मुक्ति न्यास ने साधु संतों संग की बैठक, कॉरीडोर निर्माण में सहयोग की ली शपथ
काशी कॉरिडोर की तरह मथुरा में कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव पीएम मोदी को भेजा, सभी संतों ने दी सहमति
मथुरा। वृंदावन के रमणरेती क्षेत्र स्थित चित्रकूट आश्रम में गुरुवार श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में मौजूद न्यास के पदाधिकारी और साधु संतों ने काशी कॉरिडोर की तरह मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव रखा। जिस पर बैठक में मौजूद सभी लोगों की सहमति मिलने के बाद निर्णय लिया गया कि कॉरिडोर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा जाएगा।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि हैं। जिस पर 2.5 एकड़ में मस्जिद बनी हुई है। वहीं, बाकी हिस्से में मंदिर है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ने एक केस पूरी 13.37 एकड़ जमीन को श्री कृष्ण जन्मस्थान की बताते हुए मथुरा कोर्ट में 23 दिसंबर 2020 को एक याचिका दाखिल की थी। जिस पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई चल रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र प्रताप एडवोकेट ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर मंदिर एवं वाराणसी की तरह कॉरीडोर निर्माण के लिए अभियान में सभी को सहयोग करना चाहिए। आचार्य बद्रीश ने कहा कि मंदिर निर्माण में सभी ब्रजवासियों का योगदान मिलेगा। डा. सत्यमित्रानंद ने कहा कि अयोध्या में रामलला के मंदिर की तर्ज पर यहां भी भव्य मंदिर निर्माण होगा। स्वामी गोविंदानंद तीर्थ ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में सभी संत पूरा सहयोग प्रदान करेंगे। इससे पूर्व श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर एवं कॉरीडोर निर्माण के लिए ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही सभी ने शपथ ली कि मंदिर एवं कॉरीडोर के निर्माण में तन-मन-धन-जन से पूर्ण रूप से सहयोग करेंगे। वहीं इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी प्रेषित किया गया। प्रदीप बनर्जी ने आभार व्यक्त किया।
श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के बैनर तले आयोजित बैठक में संत आदित्यानंद महाराज, गोविंदानंद तीर्थ, स्वामी सत्य मित्रानंद, भैया जी महाराज, परमेश्वर दास महाराज, महंत मोहिनी शरण महाराज, जूना अखाड़े से नवल योगी महाराज, राजस्थान के भीलवाड़ा से आईं गोरखनाथ पीठ की महिला संत डॉ मधुरा , भरत दास महाराज, आचार्य बद्रीश आदि उपस्थित रहे । बैठक का संचालन धर्माचार्य मनोज मोहन शास्त्री ने किया।