
चिंताहरण महादेव पर एक लौटा जल चढ़ाने पर मिलता है 1108 शिवलिंगों का आशीर्वाद
शिवरात्रि पर उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सैलाब, सोमवार पूरे दिन रहा श्रद्धालुओं का तांता
मथुरा। श्रीकृष्ण की नगरी में पुरानी महावन में एक ऐसा स्थान है जहां यमुना किनारे महादेव बाबा चिंताहरण के रूप में विराजमान है, जहां यमुना का एक लोटा जल चढ़ाने से 1108 शिवलिंगों का अभिषेक पुण्य प्राप्त हो जाता है। यह शिवलिंग कृष्णकालीन से काफी सिद्ध माना जाता है, एक बार जो भी भक्त श्रद्धा के साथ चिंताहरण महादेवजी के दर्शन कर लेता है उसकी चिंताए दूर होना शुरू हो जाती है।
सोमवार शाम सेवायत मंहत केशव देव महाराज ने बताया कि चिंताहरण महादेव की लीलाएं महान हैं। जिस भक्त ने श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की उसी सारी चिंताएं हर ली।
भक्त प्रदीप शर्मा ने बताया कि चिंताहरण महादेव जो भक्त आया उसकी निश्चित ही सारी चिंताएं दूर हुई हैं। हम तीन वर्ष से हर सोमवार को चिंताहरण महादेव मंदिर पर आ रहें हैं, मन को शांति मिलती है।
मंदिर के अनिल पुजारी ने बताया कि मथुरा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलो मीटर की दूरी पर है, रमणरेती के पास पुरानी महावन कस्बे में भगवान शिव का वो स्थान, जहां एक लोटा जल चढ़ाने से 1108 शिवलिंग पर जल चढाने का फल प्राप्त होता है। यहां भगवान शिव चिंताहरण महादेव के रूप में विराजमान हैं। ’ये शिवलिंग अद्भुत है, पाषाण के इस शिवलिंग पर 1108 शिवलिंग उभरे हुए हैं। पूरी दुनिया में और कोई ऐसा मंदिर नहीं है। इसकी चमत्कारिक मान्यता के चलते भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने 7 वर्ष की आयु में मिटटी खाई थी तो मां यशोदा घबरा गईं और कृष्ण से मिटटी को मुंह से निकालने को कहा। जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपना मुंह खोला तो पूरे ब्रह्मांड के दर्शन मां यशोदा को हो गए थे। जिसके बाद मां यशोदा घबरा गईं और भगवान शिव को पुकारने लगी। तभी उनकी पुकार सुन भगवान शिव यहां प्रकट हो गए, जिसके बाद यशोदा ने यमुना के एक लोटा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया। उसके बाद मां यशोदा ने भगवान शिव से यहां विराजमान हो सभी भक्तों की चिंताए हरने का वचन मांगा। जिसके बाद भगवान शिव ने मां यशोदा को वचन दिया। इस बात का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण के दसवें स्कन्द में भी है।
भगवान शिव ने मां यशोदा से कहा कि यहां आकर जो भी भक्त एक लोटा यमुना का जल चढ़ाएगा, उसके सभी चिंताए दूर हो जाएंगी और उसकी सभी मनोकामनाए पूरी होंगी। दूसरी ओर यह भी मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण बाल रूप में थे, तब सभी देवता उनके बाल स्वरूप के दर्शन करने ब्रज में आए। भगवान शिव भी दर्शन करने आए। लेकिन मां यशोदा ने भगवान् शिव के गले में सांप को देखकर उन्हें कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। शिव जी को चिंता हुई, उन्होंने भगवान का ध्यान किया तो भगवन श्रीकृष्ण ने उन्हें इसी स्थान पर दर्शन देकर उनकी चिंता हर ली। बस तभी से भगवान भोलेनाथ यहीं विराजमान हो गए, इसका उल्लेख गर्ग संहिता और शिव महापुराण में भी मिलता है।