विश्व प्रसिद्ध चरकुला नृत्य के बीच उड़ते रंगों ने बिखेरी आभा

 

 

मथुरा। वृषभान दुलारी श्रीराधारानी की ननिहाल गांव मुखराई में शनिवार रात्रि विश्व प्रसिद्ध चरकुला नृत्य का आयोजन हुआ जिसमें 108 जलते दीपकों से जगमगता पहिये को महिलाएं अपने सिर पर रखकर चरकुला नृत्य किया। गौरतलब हो कि राधारानी के जन्म के समय नानी मुखरा देवी ने आंगन में रखे रथ के पहिये पर दीपकों को सजा कर सिर पर रख राधारानी के जन्म की खुशी में नृत्य किया था। यही नृत्य आगे चल कर ब्रज में चरकुला नृत्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। चरकुला नृत्य कर रही महिलाओं के सामने हुरियारें लोकगीत गाकर जुग जुग जियो तुम नाचन हारी गाकर महिलाओं को उत्साहित करते हुए दिखाई दे रहे थे। इस अनूठी और कलात्मक परंपरा का निर्वहन ग्रामीणों द्वारा किया गया।

गोवर्धन कस्बा स्थित राधाकुण्ड में राधारानी की ननिहाल गांव मुखराई में शनिवार देररात्रि को ब्रज प्रसिद्ध चरकुला नृत्य का आयोजन किया गया। होली के रंगों से सजा महोत्सव दीपों की रोशनी से झिलमिला उठा। चरकुला नृत्य के दौरान 108 जलते दीपकों को पहिये पर रख महिला कलाकारों ने चरकुला नृत्य की प्रस्तुति दी। शनिवार की दोपहर को सजी साबरी गोपियों ने रंगबिरंगी लाठियों से ब्रज के ग्वाल के संग होली खेली। फाल्गुन मास की मस्ती के बीच हवा में उड़ते रंगों के बीच चरकुला नृत्य की चमक अलग ही आभा बिखेर रही थी।

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