चैतन्य महाप्रभु का 537 वां प्राकट्य महामहोत्सव मनाया

 

वृन्दावन। अखिल भारतीय विरक्त वैष्णव परिषद के तत्वावधान में श्री गौड़ीय वैष्णव जगत के संतों आचार्यों ने गौरांग पूर्णिमा के पुनीत अवसर पर कलिपावनावतारी , प्रेमावतारी, युगावतारी श्री चैतन्य महाप्रभु का 537 वां त्रिदिवसीय प्राकट्य महामहोत्सव विभिन्न धार्मिक और वैदिक अनुष्ठानों के साथ मनाया। जिसके अंतर्गत अखंण्ड हरिर्नाम संकीर्तन, अधिवास व पंचामृत अभिषेक हुआ। पूजनोपरांत महाआरती और विभिन्न स्तोत्र पाठ आदि संम्पन्न हुए। वहीं विद्वत् संगोष्ठी में सभी आचार्यों, संतों। महंन्तों ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रेमावतार, युगावतार चैतन्य महाप्रभु के द्वारा वर्तमान जगत में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और भक्तिमार्ग में नाम महिमा की महत्ता तथा भक्ति मार्ग में उनके अवदान पर विचार व्यक्त किए।

महन्त सच्चिदानंद दास शास्त्री ने कहा कि श्रीकृष्ण ही स्वयं चैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतरित होकर इस धराधाम पर समस्त जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं । तदुपरान्त संतों महन्तों तथा भक्तों का स्वागत व सम्मान एवं प्रसाद आदि श्रीराधामुरारीमोहन कुंज केशीघाट पर आयोजित हुआ। इस अवसर पर महन्त वृज बन्धु दास, महन्त भगवतीशरण दास, डॉ.रमेश चंन्द्राचार्य, छैलविहारी शर्मा, महन्त कृष्ण चैतन्य दास ,महन्त शचीनंन्दन दास ,महन्त जगन्नाथ दास, पुरूषोत्तम दास, विश्वजीत दास, राधामोहन दास, गोपाल दास आदि उपस्थित थे ।

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