गंगा दशहरा पर्व पर यमुना में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, पतंगबाजों ने रंग बिरंगी पतंग उड़ा किया शौक पूरा

 

मथुरा। गंगा दशहरा पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र यमुना में डुबकी लगाई और आचमन किया। उनके द्वारा यमुना जी की पूजा-अर्चना कर दान पुण्य किया गया और मनोकामना के लिए प्रार्थना की गई। स्नान पर्व पर शहर में जगह-जगह मीठे और सादा जल की प्याऊ लगाई गईं। सड़क किनारे लगे भंडारों में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। वहीं आसमान पर रंग-बिरंगी पतंगें नजर आईं। पतंगबाजों ने सुबह से देरशाम तक पतंगे उड़ाई और लम्बी ऊंचाई तक बाजी लगाई, हर ओर यहीं आवाज सुनाई दे रही थी वो काटा. वो काटा!

 

गौरतलब हो कि गंगा दशहरा पर गंगा-यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा-यमुना में स्नान करने से भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं मंदिरों में पूजा अर्चना कर दान पुण्य करने से मनोकामना पूर्ण होती है। गुरुवार सुबह चार बजे से लोग यमुना के पवित्र विश्रामघाट, स्वामी घाट तथा आसपास के अन्य घाटों पर स्नान के लिए पहुंच गए। जैसे-जैसे सुबह होती गई यमुना में स्नान करने वालों की संख्या बढ़ गई। यमुना के दोनों और श्रद्धालुओं ने यमुना में डुबकी लगाई। विश्राम घाट के अलावा स्वामी घाट तथा यमुना के दूसरी और भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर दान कर पुण्य लाभ कमाया। इस दौरान नगर निगम द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गईं।

 

वृंदावन पंचकोसी परिक्रमा कर भक्तों ने कमाया पुण्य

 

गंगा दशहरा पर्व पर मंदिरों की वृंदावन मथुरा नगरी में देश-विदेश से आए भक्तों समेत स्थानीय श्रद्धालुओं ने यमुना में डुबकी लगाई। साथ ही मंदिरों में दर्शन किए और पंचकोशी परिक्रमा कर दान पुण्य किया। सायं के समय मंदिरों में सजाए गए भव्य फूल बंगला में विराजमान ठाकुर जी के दर्शन के लिए देर रात्रि तक भक्तों की भीड़ उमड़ती रही। वृंदावन नगर के केसी घाट, चीर घाट श्रृंगारवट, बिहार घाट, जुगल घाट, सूरज घाट एवं कालीदह घाट पर यमुना स्नान के लिए आने वाले भक्तों का गुरुवार भोर से ही तांता लगा रहा। यमुना स्नान के लिए आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए नगर निगम प्रशासन द्वारा सफाई, पेयजल एवं स्ट्रीट लाइट की विशेष व्यवस्था की थी। वहीं यमुना स्नान के दौरान डूबने की घटना पर रोक लगाने के उद्देश्य से नावों पर लाउडस्पीकर लगाकर उद्घोषणा कराई जा रही थी। महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए अस्थाई चेंजिंग रुम बनवाए गए थे।

 

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जगह-जगह शीतल जल, शर्बत एवं ठंडाई के लगाए प्याऊ

 

गंगा दशहरा पर यमुना में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने नगर की पंचकोशी परिक्रमा लगाई तथा तरबूज, खरबूज आदि का दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। परिक्रमा मार्ग एवं बाजारों में जगह-जगह तरबूज-खरबूज की दुकानें सजी हुईं थी। वहीं स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा लोगों को गर्मी से राहत दिलाने के लिए जगह-जगह शीतल जल, शर्बत एवं ठंडाई आदि की प्याऊ लगाई गईं।

 

 

गंगा दशहरा पतंगबाजी का भी पर्व है, मथुरा-आगरा, हाथरस अलीगढ़ में

 

दशहरा पर सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र पतंग रहीं। गुरुवार की भोर से ही पतंगबाजों पतंग उड़ानी शुरू कर दीं। सुबह आंख खुली तो आसमान पर उड़ रही पतंगों को देख मन प्रफुल्लित हो गया। सबसे अधिक उत्साह युवाओं में दिख रहा था। विभिन्न रंगों की पतंगे उड़ते देख बच्चे भी खुश हो रहे थे। दुकानों पर भी पतंगों की बिक्री सुबह से ही बढ़ गई थी। पतंगबाजों का कहना है कि आसमान में उड़ती पतंग और हाथों में उसकी डोर मन को रोमांचित कर देती है। एक दूसरे को देखकर उत्साह आता है और चरखी और पतंग लेकर हर कोई अपनी अपनी छतों पर दिखाई रहा है।

हिंदुओं में इस पर्व का बहुत महत्व है, गंगा दशहरा पतंगबाजी का भी पर्व है। इस दिन सुबह से ही पतंग आसमान में छाने लगीं। पतंगबाज गुरुवार सुबह से ही चरखी व पतंगों को लेकर खुले मैदानों तथा मकानों की छतों में पेच लड़ाने के लिए पहुंच गए। अन्य शौक की तरह पतंगबाजी भी एक शौक है। इसका भी पर्व मनाया जाता है। इसे गंगा दशहरा वाले दिन ही मनाया जाता है। गुरुवार को बच्चों से लेकर बड़ों में भी इसे लेकर काफी उत्साह दिखाई दिया। पतंगबाजों को इस पर्व का इंतजार पूरे साल रहता है। पर्व से एक माह पूर्व से ही पतंगबाजी शुरू हो जाती है। छतों पर पतंग उड़ाते युवाओं को देखते हुए सभी का मन पतंग उड़ाने को करने लगता है।

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