वृन्दावन के दैदीप्यमान नक्षत्र थे हरिबाबा महाराज

 

वृन्दावन।दावानल कुंड क्षेत्र स्थित हरि बाबा आश्रम में जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ आयोजित किया जा रहा है। जिसमें भागवताचार्य दिनेश शास्त्री महाराज दूर दराज से आए असंख्य भक्त श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत कथा का रस पान करा रहे हैं।

भागवताचार्य दिनेश शास्त्री महाराज ने भक्तों को ध्रुव चरित्र की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि बाल भक्त ध्रुव जैसी भक्ति करपाना अत्यंत कठिन व दुर्लभ है।भक्त ध्रुव ने ऐसी कठिन भक्ति करके 5 वर्ष की आयु में ही भगवान नारायण के दर्शन किये थे।वर्तमान काल में छोटे बच्चों में संस्कारों व धर्मग्रंथों के ज्ञान का बहुत ही अभाव है।इस अभाव को कम करने के लिए श्रीमद्भागवत कथा बहुत ही जरूरी और सरल मार्ग है।

भक्ति आश्रम के अध्यक्ष संत देवादास महाराज व हरिबाबा आश्रम के अध्यक्ष संत हरेकृष्ण ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि हरिबाबा आश्रम के संस्थापक संतप्रवर हरिबाबा महाराज परम भजनानंदी व निस्पृह संत थे।उनकी धर्म व अध्यात्म जगत के लिए अनेकों देनें हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि संत शिरोमणि हरिबाबा महाराज श्रीधाम वृन्दावन के दैदीप्यमान नक्षत्र थे। वह सभी संप्रदायों से परे समन्वयवादी संत थे।उन जैसी पुयात्माओं का अब युग ही समाप्त हो गया है।

इससे पूर्व मुख्य यजमान डॉ. राधाकांत शर्मा, श्रीमती मंजू शर्मा व मुकेश शर्मा (जयपुर) ने श्रीमद्भागवत व कथा व्यास का पूजन – अर्चन किया।

इस अवसर पर विष्णु कुमार शर्मा, बोध स्वरूप,प्रेमपाल बाबा,मक्खन कोठारी,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,गिरीश रेवाराम, दानबिहारी शर्मा व नितिन पचौरी आदि की उपस्थिति विशेष रही।

 

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