
छज्जू लाये खाट के पाये, मार-ंमार लट्ठन -हजयूर कर आये, याही कंस की दाड़ी लाये, मूंछऊ लाये ।
मथुरा। चतुर्वेदी समाज के बालक, युवा, बुजुर्गो के हाथों में पुस्तैनी साज-ंसज्जा के चमकते हुए लट्ठ थे और लट्ठों को लहराते हुए चतुर्वेदी बन्धु गान कर रहे थे छज्जू लाये खाट के पाये, मार-ंमार लट्ठन -हजयूर कर आये, याही कंस की दाड़ी लाये, मूंछऊ लाये । मार-ंमार लट्ठन -यूर कर आये । कंसा के घर के घबराये। के उद्घोषों के साथ शनिवार शाम कंस का पुतला चतुर्वेद समाज के लोगों ने निकाला और कंस टीले पर लट्ठन से मार मार कर पुतले को चकनाचूर कर दिया।
विदित हो दीपावली पूजन के बाद ही चतुर्वेदी समाज के बन्धु इस मेले की तैयारियों में लग जाते हैं, देश-ंविदेश से आये चतुर्वेदी बन्धुओं का इस मेले में गजब का उत्साह था। औद्योगिक व्यापारिक क्षेत्र के बन्धु भी इस मेले में उत्साह के साथ शामिल थे। समाज के प्रमुख बगीची और अखाड़े जिनमें चौकी अखाड़ा, लक्ष्मनगण, भवन्तगण, पीपल वाला अखाड़ा आदि में इस मेले को लेकर समाज के बन्धुओं की भांग ठण्डाई के आयोजन शनिवार दोपहर बाद ही शुरू हो गये।
कृष्ण बलराम शोभायात्रा जिस पर कृष्णबलराम के स्वरूप हाथी पर सवार थे शनिवार शाम पांच बजे स्थान हनुमान गली से कंसटीले आगरा रोड पहुंची। वहां कंस के आधे धड़ को लाठियों से पीटा गया तत्पश्चात् यह कंस वध शोभायात्रा कृष्ण बलराम विजय शोभा यात्रा के रूप में परिवर्तित होकर बाहर के आगरा रोड, होली गेट, छत्ता बाजार, विरजानन्द होती हुई, पुण्य तीर्थ विश्राम घाट पर पहुंची। वहां स्थित कंसखार पर कंस के चेहरे को लाठियों से पीटा गया। कंस टीला आगरा रोड प्रारम्भ हुई इस शोभायात्रा में दो घोड़ों पर विजय ध्वज लेकर दो सेवक चल रहे थे, जिसमें बहुत ही झांकियों थी उन झांकियों के मध्य भगवान गणेण जी झांकी बड़ी दिव्य अलौकिक थी। उनके पीछे राजस्थान कलाकारों द्वारा नाच गान करती हुई सुन्दर झांकी, उसके पीछे चरकुला नृत्य की झांकी, सुदामा चरित्र दिखाती हुई -हजयांकी, मां यमुना की मनमोहित करने वाली झांकी, तथा बहुत से प्रसिद्ध बैण्ड बाजों नफिरियों के साथ उत्साही बन्धुओं का हजूम परिषद के मुख्य संरक्षक प्रमुख उद्योगपति महेश पाठक के सान्निध्य में इस हजूम के पीछे हाथी पर विराजमान भगवान श्रीकृष्ण बलराम अपने मन मोहक दर्शन श्रद्धालुओं को देते हुए विराजमान थे।
मेले में द्वारिकाधीश मंदिर से लेकर रंगेश्वर महादेव तक चतुर्वेदी बन्धुओं नर-ंनारियों का हजूम चल रहा था। समाज के लोगों में इस मेले को लेकर बाहरी उत्साह था।
विदेश से भारी संख्या में शामिल हुए चतुर्वेद समाज के लोग कंस मेले
विदित हो कि चतुर्वेद समाज के बन्धु भारी संख्या में दुबई, अमेरिका, लंदन, मॉक्सो, ब्राजिल, आस्ट्रेलिया, आदि के साथ ही भारत के विभिन्न बाहर बम्बई, दिल्ली, अहमदाबाद, आदि जगह से भी कंसवध मेले में आये थे। पुरानी परम्परा के अनुसार भगवान् योगीराज कृष्ण बलराम ने कंसखार पर कंस को मारकर विश्राम घाट पर विश्राम किया। तथा उसके पश्चात् भगवान कृष्ण बलराम ने कंस के मारने के पाप से ऋण होने के लिए ब्रज में 18 कोस की परिक्रमा मथुरा, गड़गोविन्द व वृन्दावन की लगायी। जिसमें नगरवासियों ने भगवान के जयघोष एवं उसके नाम का स्मरण करते हुए परिक्रमा दी। आज भी उसी चरित्रार्थ को सत्य करते हुए लाखों की संख्या में चतुर्वेदी ब्राह्मण, भक्त जन, श्रद्धालु ने देवो उठठान एकादशी के पुण्य पर्व पर से विजय घोष करते प्रारम्भ करकर सम्पूर्ण 18 कोस की परिक्रमा देंगे। यह परिक्रमा भगवान कृष्ण बलराम की आरती के बाद पुण्य तीर्थ विश्राम घाट से प्रारम्भ होकर मथुरा नगर की प्रमुख मंदिरों के दर्शन कराती हुई गड़गोविन्द होती हुई वृन्दावन के प्रमुखों मंदिरों के दर्शन कर पुण्य तीर्थ विश्राम घाट पर ही सम्पूर्ण होती है।