रंगनाथ मंदिर में हुआ गज ग्राह लीला का मंचन

 

 

मथुरा। वृंदावन में धार्मिक नगरी के विशालतम प्राचीन रंगनाथ मंदिर में रविवार को गज ग्राह लीला का भव्य मंचन किया गया। गरुण पर विराजमान भगवान रंगनाथ की जय जयकार से मंदिर परिसर अनुगुंजित हो उठा। आषाढ़ पूर्णिमा पर्व पर दक्षिणात्य शैली के प्रसिद्ध रंगनाथ मंदिर में गज ग्राह लीला का मंचन किया गया है। मान्यता है कि सतयुग में एक बार जलाशय में स्नान कर रहे गज (हाथी) को जल के अंदर ग्राह (मगरमच्छ) ने पकड़ लिया और जल के अंदर खींचने लगा। जब काफी प्रयास के बाद भी गज ग्राह की पकड़ से मुक्त नहीं हो पाया तो आर्तस्वर से भगवान रंगनाथ को पुकारा। अपने भक्त की कातर ध्वनि सुनकर भगवान रंगनाथ बिना चरण पादुका धारण किए गरुण पर सवार होकर आए और सुदर्शन चक्र से ग्राह का वध कर उसे मोक्ष प्रदान किया।मंदिर प्रबंधन द्वारा भगवान और भक्त के इस संबंध की रक्षा का प्रदर्शन करने वाली इस लीला को

प्रति वर्ष मंचन किया जाता है। रविवार को परंपरानुसार स्वर्ण निर्मित गरुण वाहन पर विराजमान होकर सुदर्शन चक्रधारी भगवान रंगनाथ की सवारी गर्भगृह से निकलकर पूर्वी द्वार स्थित पुष्करणी

पर पहुंची। जहां गज एवम ग्राह के प्रतीक स्वरूप द्वारा लीला के उपरांत जैसे ही भगवान द्वारा ग्राह का वध किया गया। मंदिर परिसर रंगनाथ भगवान की जय जयकार से गूंज उठा। उसके बाद भगवान की कुंभ आरती की गई। इसके बाद सवारी पुनः मंदिर में भ्रमण करने के बाद गर्भगृह के लिए रवाना हो गई।

इस अवसर पर मंदिर के चक्रपाणि मिश्रा ने बताया कि श्री रंगनाथ मंदिर में उत्सव की परंपरा है यहां हर दिन उत्सव होता है इसीलिए इसे दिव्यदेश कहा जाता है।यहां गज ग्राह की लीला का दर्शन मंदिर की स्थापना के साथ से ही चला आ रहा है। इसमें भगवान बहुत की करुण पुकार सुनकर किस तरह चले आते हैं और उनकी रक्षा करते हैं यह दिखाती है।

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