
अखाड़े, महामंडलेश्वर पद से निष्कासित करने और कथाओं पर प्रतिबंध लगाने की हिंदू वादी नेता संजय हरियाणा ने की मांग
मथुरा। निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर इंद्रदेव सरस्वती उर्फ यज्ञ पीठाधीश्वर उर्फ राष्ट्रीय संत उर्फ यज्ञ प्रवर्तक उर्फ क्रांतिकारी धर्म सम्राट ,वृंदावन के खिलाफ पंडित संजय हरियाणा ने परम पूजनीय महंत श्री रवींद्र पुरी जी महाराज अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद हरिद्वार और उनके महामंत्री परम पूजनीय में महंत श्री हरि गिरि जी महाराज व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को एक चार पेज की शिकायत और कार्रवाई के लिए पत्र आज पोस्ट से भेजा है ।
जिसमें पंंडित संजय हरियाणा ने निवेदन किया गया है कि धर्म का उपवास उड़ाने वाले हमारे सनातन संस्कृति को इंद्रदेव महामंडलेश्वर जी से होने वाली हानि से बचाने के लिए इनको अखाड़े से निष्कासित करें ।।उनकी कथाओं पर प्रतिबंध लगाए, क्योंकि अखाड़ा परिषद अभी तक इस कृत्य पर मौन है। यदि अखाड़ा परिषद निरंजनी अखाड़ा इंद्रदेव के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करती है। एवं महामंडलेश्वर पद से निष्कासित नहीं करती है ।तो यह माना जाएगा, कि इंद्रदेव द्वारा धर्म का उपवास कर व शास्त्र विरूद्ध किए गए कार्यों का अखाड़ा पूर्ण समर्थन करती है। ऐसी स्थिति में पंडित संजय हरियाणा ने कहा हमको अपने अधिवक्ताओं व मातृशक्ति के साथ महामंडलेश्वर इंद्रदेव जी के विरोध व अखाड़ा परिषद के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई इस विषय पर करने पर बाध्य होना पड़ेगा ।महामंडलेश्वर द्वारा जो कार्य किया जा रहे हैं वह शास्त्र के अनुकूल नहीं है ।अगर शास्त्र के अनुकूल वह कार्य कर रहे हैं तो अखाड़ा परिषद उनका प्रमाण दे।अन्यथा की स्थिति में वो भी मुकदमा का सामना करने के लिए तैयार व तत्पर रहे।।
पंडित संजय हरियाणा ने जिन विषयों को उठाया है।
उसमें व्यास पीठ किसे कहते हैं, महामंडलेश्वर पद की शर्ते व योग्यताएं व्यास पीठ से अमर्यादित शब्दों का प्रयोग, उल्टे हाथों से दीपदान करना, सन्यास ग्रहण करने के उपरांत भी जूते चप्पल पहनना, सौंदर्य की कामना से कैश बड़े करना, नित्य सेविंग करना, फेशियल करना एवं अनेक शास्त्र विपरीत कार्य है ।इंद्रदेव जी के चरण पादुका पहन कर हवन करना, व्यास पीठ से अमर्यादित भाषा बोलना अश्लील शब्दों का उच्चारण मातृ शक्तियों का अपमान, नाम के आगे राष्ट्रीय संत की उपाधि स्वयं ही ले लेना, अपने नाम के आगे स्वयं ही धर्म सम्राट लिख लेना, यह हमारे परम पूजनीय धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज का घोर अपमान है ।वृंदावन के स्वयं के आश्रम में होटल एवं रेस्टोरेट का व्यवसाय चलाना।
यह महामंडलेश्वर और संत के कार्य में नहीं आता गौ माता एवं यज्ञ इत्यादि के नाम पर भोली भाली इंदौर की जनता से अवैध चंदा लेना। अपने पैरों पर स्वास्तिक बनवाना एवं पैरों पर तुलसीदल चढ़वाना, यह सब कार्य सनातन धर्म के खिलाफ है। पंडित संजय हरियाणा ने तत्काल प्रभाव से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद हरिद्वार से निवेदन किया है कि महामंडलेश्वर की उपाधि जो इंद्रदेव महाराज को दी गई है तुरंत अभिलंब, अगर उनके द्वारा प्रदान की गई हो।तो अखाड़ा परिषद हरिद्वार उसे वापस ले अन्यथा की स्थिति में दोनों पक्ष इस विषय पर भी मुकदमा का सामना करने के लिए तैयार रहे। जिसकी जिम्मेदारी आप दोनों की होगी । सनातन धर्म को हानि से बचाने के लिए परम पूजनीय महंत रवींद्र पुरी महाराज अध्यक्ष परम पूजनीय महेंद्र श्री हरि गिरि महाराज महामंत्री अखाड़ा भारतीय अखाड़ा परिषद हरिद्वार आशा है आप सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन धर्म के साथ खड़े रहेंगे।