रामानंद महाराज वैष्णव भक्तिधारा के महान संत : सुतीक्ष्णदास
मथुरा। वृन्दावन में अनंत श्री विभूषित जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज की जयंती महा महोत्सव के चतुर्थ दिवस स्वामी जी को नमन करने के लिए गोरे दाऊजी के महंत दास जी महाराज ने कहा के जात पात पूछे न कोई हरि को भजे सो हरि का होई रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य ने हिंदू धर्म को संगठित और व्यवस्थित करने के अथक प्रयास किए।
उन्होंने वैष्णव सम्प्रदाय को पुनर्गठित किया तथा वैष्णव साधुओं को उनका आत्मसम्मान दिलाया। रामानंद वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। सोचें जिनके शिष्य संत कबीर और रविदास जैसे संत रहे हों तो वे कितने महान रहे होंगे।
कार्यक्रम में संत सम्मेलन में भागवत के विद्वान श्री मारुति नंदन बागीश महाराज ने कहा
के बादशाह गयासुद्दीन तुगलक ने हिंदू जनता और साधुओं पर हर तरह की पाबंदी लगा रखी थी। हिंदुओं पर बेवजह के कई नियम तथा बंधन थोपे जाते थे। इन सबसे छुटकारा दिलाने के लिए रामानंद ने बादशाह को योगबल के माध्यम से मजबूर कर दिया। अंततः बादशाह ने हिंदुओं पर अत्याचार करना बंद कर दिया और उन्हें अपने धार्मिक कार्यक्रमों को करने की आजादी प्रदान कर दी कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष
श्रीमद् जगतगुरु द्वाराचार्य नाभापीठाधीश्वर स्वामी श्री सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज की गरिमामयी उपस्थिति रही । इस अवसर पर मोहन कुमार शर्मा नंदकिशोर अग्रवाल भारत लाल शर्मा अवनीश शास्त्री निखिल शास्त्री लक्ष्मीकांत शास्त्री प्रेम नारायण दास किशोर दास सौमित्र दास अंकित दास सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन राम सजीवन दास जी द्वारा किया गया।