ब्रज साहित्य परिषद न्यास ने की विचार गोष्ठी आयोजित

मथुरा। ब्रजवासियों को ब्रजभाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लंबा और निर्णायक संघर्ष करना होगा। ब्रजभाषा और संस्कृति के नाम पर शासन प्रशासन द्वारा मनमानी और हठधर्मिता का प्रदर्शन किया जा रहा है। ब्रजभाषा के साहित्यकारों और लोककला साधकों की उपेक्षा की जा रही है। जिसका ताजा मिशाल वृन्दावन में सम्पन्न हुआ ब्रजरज उत्सव है।

ये विचार रविवार को ब्रजकला केंद्र में ब्रज भाषा साहित्य एवं लोक कला संस्थान और ब्रज साहित्य परिषद न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विचार ग़ोष्ठी में व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ने मौजूदा दौर में शासन प्रशासन द्वारा ब्रज संस्कृति की उपेक्षा पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि लाख प्रयासों के वावजूद भी सरकार द्वारा ब्रजभाषा अकादमी की स्थापना की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. सीमा मोरवाल ने ब्रज की लोककला और कलाकारों की उपेक्षा पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ब्रजवासियों को अपने आत्म गौरव की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। ग़ोष्ठी में वक्ताओं ने एक स्वर से इस बात पर सहमति जताई कि हमको ब्रज भाषा को दैनिक संवाद के रूप में अपनाना होगा और अपने परिवार में इसे लागू करना होगा। सोशल मीडिया पर ब्रजभाषा में संवाद को अपनाना होगा। ब्रज में साहित्यिक यात्रओं की नई परम्परा की शुरुआत करनी होगी। ब्रजभाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए ब्रज क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों पर दबाब बनाया जाएगा। प्रदेश की विभिन्न एकेडमियों में ब्रज को प्रतिनिधत्व दिए जाने की भी रखी गई।गोष्ठी को संबोधित करने वाले विद्वानों में अशोक यज्ञ, अजीब अंजुम, श्याम सुंदर शर्मा अंकिचन, हरीओम हरि, दिनेश पाठक शशि, हरि बाबू ओम, डॉ. धर्मराज, टिकेन्द्र शाद, अनुपम गौतम, सीपी शर्मा, गोपाल शर्मा, रेनू उपाध्याय, नरेंद्र एम चतुर्वेदी, जगदीश समंदर, विवेक दत्त मथुरिया, जगदीश ब्रजवासी,भावना शर्मा,दीपांजलि शर्मा, आदि थे। कार्यक्रम का संचालन गोपाल प्रसाद शर्मा परासौली ने किया।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

विज्ञापन बॉक्स
विज्ञापन बॉक्स

Related Articles

Close
[avatar]