शहादत के 164 सालों के बाद भी वीरांगना अवंतीबाई को नहीं मिली पहचान

 

बलिदान दिवस पर दी अखिल भारतीय लोधी महासभा ने श्रद्धांजलि

 

मथुरा। बीरांगना रानी अबंतीबाई का 164 वें बलिदान दिवस पर अखिल भारतीय लोधी महासभा के द्वारा महिला वीरांगना रानी अवंती बाई पार्क में लगी भव्य प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमः आंखों से श्रद्धांजलि देकर उनको याद किया ।1857 में देश को गुलामो से मुक्त कराने के लिए अंग्रजों से लड़ते लड़ते देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देदी उस समय रानी अबंतीबाई लोधी प्रथमआ साहसी महिला थी जिन्होंने बीरता का परिचय देते हुए युद्ध विगुल फूंक दिया ।आपको बतादे की रानी अबंतीबाई मध्य प्रदेश के भोपाल के गांव रामगढ में उनका जन्म हुआ था भारत की पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ते लड़ते अपनी प्राणों की आहुति देदी लेकिन अंग्रेजों के सामने अपने सर को झुकने नहीं दिया । बीरांगना अबंतीबाई के पति विक्रमादित्य को अंग्रेजों ने सडयंत्र के तहत पागल घोसित करवा और अपने राज को बचने के लिए बीरता का परिचय देते हुए 20 मार्च सन 1857 में अपने प्राणों की देश के लिए आहुति देदी । आज अखिल भारतीय लोधी महासभा के जिलाध्यक्ष कार्यकारणी के साथ पार्क में लगी वीरांगना रानी अबंतीबाई लोधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रधांजलि दी रानी अबंतीबाई अमर रहे के नारे लगाए । इस दौरान अध्यक्ष मंगल सिंह लोधी राजपूत ने बताया कि वीरांगना रानी अवंती बाई देश को गुलाम मुक्त करने के लिए अपने प्रणों की आहूति दे दी। लेकिन उनकी शहादत के 164 सालों के बाद भी उन्हें जो पहचान मिलनी चाहिए, वह अब तक नहीं मिली है। इस दौरान कार्यकारणी के बाबू लाल लोधी ,नवल लोधी ,प्रकाश लोध,मनोहर पटेल,दीपक,वीरू,पंकज,बलराज लोधी,घनश्याम लोधी,अशोक,शशी, रमेश,कन्हैया, नीतेश,आदि समाज के लोग मौजूद रहे।

 

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