
जहां नारियां का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
- तिरस्कृत माताओं और बहनों के लिए समाज को आगे आना होगा :
- जीवन को सुगम और सरल बनाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार प्रतिबद्ध है :
- यशोदा की तरह सभी मां अपने पुत्रों को प्यार करती हैं, हमें भी बच्चों की तरह उनकी देखभाल करनी चाहिए
मथुरा। यहां उपस्थित सभी माताओं में यशोदा मां की ममता और मीरा बाई के समर्पण के दर्शन हो रहे हैं। मां अनेकों कठिनाइयों को सहन करके अपने पुत्रों का पोषण करती है तथा उन्हें काम योग्य बनाती है। लेकिन समाज के कुछ व्यक्तियों महिलाओं को उपेक्षित करके जीवन अकेला गुजारने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। किन्तु हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है। इसलिए हमें माता और बहनों का सम्मान करना चाहिए।
उक्त विचार देश के महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कृष्णा कुटीर में विधवा एवं निराश्रित महिलाओं से मुलाकात करने के पश्चात व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वेदों की रचना करने वाली लोपामुद्रा, अपाला और भोसा जैसी अखियों वाले समाज में महिलाओं के तिरस्कार की स्थितियां बनती हैं यह भी एक कडवा सच है। हमें बाल विवाह, सतीप्रथा और दहेज प्रथा की तरह विधवा जीवन की कुरीति को भी समाज से दूर करना होगा। हमें इसके लिए पूरे समाज का नजरिया बदलने की आवश्यकता है। समाज को जागृत होना होगा और अनेक संतां और समाज सुधारकों को तिरस्कृत माता और बहनों के जीवन को सुधारने के लिए राजाराम मोहन राय, ईश्वरचन्द विद्या सागर और स्वामी दयानन्द जैसे प्रयासों को करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीजी द्वारा सभी माता और बहनों के जीवन को सुगम और सरल बनाने के लिए प्रतिबद्धता निभाई जा रही है। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वृन्दावन में कृष्णा कुटीर का निर्माण किया गया है। अब कृष्णा कुटीर को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हाथों में लेकर श्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा भरपूर सहयोग दिया जा रहा है। वृन्दावन की माता एवं बहनों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मासिक पेंशन की भी व्यवस्था की गई है और माताओं की देखभाल केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर कर रही है। केन्द्र व राज्य सरकार के किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल ने महिलाओं के दुख दर्द सुनने और उनकी पीड़ाओं को कम करने के लिए उनसे मिलने का कार्यक्रम बनाया है।
श्रीकोविन्द ने कहा कि मेरा विचार है कि समाज में इस प्रकार के आश्रम गृहों की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए, हम एक ऐसा माहौल बनायें, जिसमें समाज में जागरूकता उत्पन्न हो और महिलाओं के पुर्नविवाह, आर्थिक स्वावलंम्बन, परिवारिक सम्पत्ति में हिस्सेदारी, सामाजिक अधिकारों की रक्षा जैसे उपाये किये जायें और उन्हें आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास से भरपूर जीवन को जीने का अवसर दिया जाये। माताओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाये और उनका सम्पर्क बढ़ाया जाये तथा तीज त्यौहारों में भी उनको शामिल किया जाये। उन्होंने प्रशंसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पुराने प्रचलन में विधवायें सफेद साड़ी पहनकर रहती थी, लेकिन आज रंगीन कपड़े पहनकर बैठी हैं। यह एक क्रान्तिकारी परिवर्तन है। बदलते भारत की तस्वीर हमारी मातायें भी देखना चाहती हैं। मैं मुख्यमंत्री उ0प्र0, शुलभ इण्टरनेशनल संस्था के स्थापक बिन्देश्वरी पाठक एवं अन्य समाज सेवी संस्थाओं से आग्रह करता हॅू कि इन माताओं को देश व प्रदेश के दर्शन कराये जायें।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, उनकी पत्नी श्रीमती सविता कोविन्द एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है कि जब संभवता पहली बार देश के राष्ट्रपतिजी ने महिलाओं के साथ संवाद करके उनके दुख दर्द को समझा है, उनका यह कार्य रूढ़िवादी व्यवस्था पर एक प्रहार है, जो व्यक्ति के जीवन की प्रगति को रोकने का कार्य करता है और मानवीय संवेदना को तार-तार करता है। श्री बांके बिहारी जी दर्शन के पश्चात इन महिलाओं से संवाद बनाया है, जिसके लिए मैं उनका ह््रदय से आभार व्यक्त करता हॅू। केन्द्र व राज्य सरकार का उददेश्य है कि इन महिलाओं का जीवन सुगमता से व्यतीत हो और इन्हे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।